वेतन के लिए सरकार का खज़ाना खोल देने वाले छठे वेतन आयोग ने सरकारी बाबुओं को मिलने वाली छुट्ïिटयों पर भी अपनी राय व्यक्त की है। केन्द्रीय कर्मचारी 365 दिनों में 123 दिन की सरकारी छुट्टी मनाते हैं, इसके अलावा 8 कैजुअल, 30 अर्न किए गये तथा 20 हाफ-पे छुटियाँ अलग से होती हैं। मसलन ये आंकड़ा साल में 274 दिन काम करने का बैठता है। इसे सरकारी बाबुओं की लॉबी ने पूरी तरह से खारिज़ कर दिया है। इन छुट्टियों का खामयाजा लोगों को भुगतना पड़ता है क्योंकि इसी का परिणाम है सरकारी फाइलों की मोटी होती परत और काम के दिनों की छोटी होती संख्या। कभी आपने सरकारी दफ्तरों में एक के उपर एक लदी फाइलों का जंगल देखा है? देखा तो जरुर होगा, क्योंकि सरकारी दफ्तरों के काम-काज की रफ्तार का पता तो उनकी मोटी फाइलों को देखकर ही लगता है। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है और वह है सरकारी छुट्टियाँ हाल ही में केन्द्रीय मंत्री शशि थरुर ने एक ऐसा मुद्दा उठाया, जिसे केन्द्र सरकार लगातार टालती रही है। हालांकि इस विवादित मुद्दे को हवा देकर शशि थरुर ने सबका ध्यान सरकारी छुट्ïिटयों की तरफ खींचा है। यह अलग बात है कि कांग्रेस ने इसे थरुर का नीजी विचार बताया और इस मामले से पल्ला खींच लिया। मगर, प्रश्न अब भी वहीं बरकरार है? इस विषय पर छठे वेतन आयोग ने भी नजऱ दौड़ाई थी, उनका मानना है कि भारत में त्यौहारों के कारण इतनी छुट्टियाँ पड़ती हैं। धर्मनिरपेक्ष होने के कारण हर धर्म के लोगों के अनुसार पडऩे वाले त्यौहारों की अच्छी खासी लिस्ट होती है, इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार की छुट्टियों होती हैं। जिसका सीधा असर सरकारी कामकाज पर पड़ता है। तीन राष्ट्रीय अवकाशों के अलावा 14 गजटेड छुट्टियाँ का लाभ सरकारी बाबुओं को मिलता है। इसमें 2 प्रतिबंधित अवकाश जोड़ दें और 104 शनिवार-रविवार की छुट्टियाँ तब कहीं जाकर केन्द्रीय कर्मचारियों की छुट्टियाँ वाली लिस्ट पूरी होती है। यानि साल के 34 प्रतिशत दिन तो छुट्टियाँ होती ही होती हैं, बाकी के 66 प्रतिशत दिनों में कितनी तन्मयता से सरकारी बाबू काम करते हैं, यह जग जाहिर है। इस पर करीब दो दशकों से असमंजस जैसी स्थिति बनी हुई है, करीब एक दशक पहले कार्यकुशलता को बढ़ावा देने के नाम पर केन्द्रीय कर्मचारियों को 5 डे वर्किंग का तोहफा दिया गया, जो कि पूर्व में 6 डे वर्किंग था, जिसमें भी हर दूसरे शनिवार की छुट्टियाँ होती थी। इस प्रास्तव को तुरंत हाथों-हाथ लिया गया और केन्द्र सहित कई राज्यों में इसे लागू कर दिया गया। हालांकि इस मामले पर पांचवे वेतन आयोग ने टिप्पणी की थी कि फिर से 6 डे वर्किंग लागू किया जाए, जिसके तहर हर दूसरे शनिवार की छुट्टी रहे। मगर, सरकारी बाबुओं ने इस सलाह को सिरे से खारिज़ कर दिया। फिर छठे वेतन आयोग ने भी इस मसले पर अपनी राय दी, लेकिन सरकार ने उसे अनसुना कर दिया। दोनों वेतन आयोगों ने इस मसले पर सिफारिश दी थी। सरकारी कार्यालयों के अलावा अदालतें, शिक्षण-संस्थान और संसद में छुट्टियाँ को लेकर ज्यादा उदारता देखी जाती है। जिसका ताजा उदाहरण है कि सन्ï 2009 में अब तक सुप्रीम कोर्ट 175 दिन बंद रह चुका है, जबकि केन्द्रीय कार्यालयों की साल भर की कुल छुट्ïटी 123 दिन की होती है। देश के हॉलीडे सिस्टम का हाल अगर आप ग्लोबल टीम के साथ भारत में किसी प्रोजेक्ट पर काम करना चाहते हैं, या किसी बिजनेस ट्रीप पर देश का दौरा कर रहे हों या फिर कोई ऐसा ऑपरेशन जिसमें भारतीय भी शामिल हैं, तो यहां के तीज-त्यौहारों सहित सालभर के हॉलीडे का हाल आपको जरुर जानना चाहिए। हालांकि प्राईवेट कंपनियां जो 24 घंटे सेवा प्रदाता हैं, वे इन छुट्ïिटयों पर कर्मचारियों को भत्ता देकर काम निकलवा लेती हैं, मगर सरकारी कार्यालय सुविधानुसार कार्य करने से कतराते हैं। राष्टï्रीय अवकाश देश में तीन धर्मनिरपेक्ष छुट्ïिटयां होती हैं, जिनमें 26 जनवरी(गणतंत्र दिवस), 15 अगस्त(स्वतंत्रता दिवस)और 2 अक्टूबर(महात्मा गांधी जयंती) शामिल है। इस दिन सभी सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं। ऑल इंडिया पब्लिक हॉलीडे तीन राष्ट्रीय अवकाश के अलावा 14 ऑल इंडिया पब्लिक हॉलीडे हैं, जिसके तहत सभी केन्द्रीय दफ्तर व बैंक बंद रहते हैं। इन 14 छुट्ïिटयों में 11 राष्ट्रीय स्तर के और 3 राज्यों के आधार पर लिये जा सकते हैं। धार्मिक सद्ïभावना के तहत इन छुट्ïिटयों में सभी प्रमुख धर्मों हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, सिख, जैन व बौद्ध धर्म के त्यौहार आते हैं। स्टेट पब्लिक हॉलीडे देश के 29 राज्यों में कुछ और धार्मिक तथा धर्मनिरपेक्ष छुट्ïिटयां होती हैं। क्योंकि सभी प्रदेशों की अपनी सभ्यता, संस्कृति है और त्यौहारों को मनाने का तरीका भी। सभी राज्य प्रतिवर्ष प्रदेश के पब्लिक हॉली डे की लिस्ट घोषित करते हैं। जैसे ज्यादातर राज्य 1 मई को मजदूर दिवस के रुप में मनाते हैं, जबकि महा राष्ट्र में इसी दिन पारसी नववर्ष मनाया जाता है। इसी तरह तमिलनाडु में कुल 24 पब्लिक हॉलीडे मनाये जाते हैं। प्रतिबंधित अवकाश छुट्ïिटयों की इस श्रृंखला में एक प्रतिबंधित अवकाश की श्रेणी भी रखी गयी है। यह पूरी तरह से व्यक्तिगत होता है, सरकारी कार्यालय व व्यापारिक प्रतिष्ठïान खुले होते हैं, मगर व्यक्ति अपनी सुविधानुसार इस छुट्ïटी को ले सकता है। यह पूर्णत: वैयक्तिक होता है। एड हॉक हॉलीडे एड हॉक हॉलीडे की चर्चा के बगैर छुट्ïिटयों की यह पूरी कहानी खतम नहीं होती। यह वह छुट्ïटी जैसे किसी राष्ट्रीय नेता की मृत्यु हो जाए या राज्य या केन्द्र के चुनाव हों, आद्यौगिक हड़ताल भी इसी कैटेगरी में आती है। इसके अलावा भी समय-समय पर राजनैतिक पार्टियों द्वारा बुलाया जाने वाला बंद भी सरकारी कामकाज को पूरी तरह से प्रभावित करता है। क्रिकेट मैचों के दौरान कार्यालयों में होने वाली कम उपस्थिति को भी इसी श्रेणी में रखा जा सकता है, क्योंकि क्रिकेट क्रेजी इस देश में अमूमन बीमार होने का बहाना बनाकर मैच वाले दिन छुट्ïटियां ले ली जा जाती हैं। लगातार छुट्ïिटयां का सिलसिला बीते वर्ष में सरकारी मुलाजि़मों के लिए के सितंबर व अक्टूबर का महीना खूब एन्जॉय करने वाला रहा क्योंकि सितंबर माह में एक बार लगातार 4 दिन की छुट्ïटी रही तो सप्ताह भर के भीतर ही तीन दिन लगातार की फिर छुट्ïटी। यही नहीं बीते अक्टूबर महीने में भी कुछ ऐसा ही हाल रहा, जब तीन-तीन दिन लगातार की तीन छुट्ïिटयां सरकारी बाबुओं को खुश कर गयी। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती, 3 को शनिवार व 4 को रविवार की लगातार छुट्ïटी रही, फिर उत्तर प्रदेश में 9 अक्टूबर को कांशीराम निर्वाण दिवस, 10 तारीख को शनिवार व 11 तारीख को रविवार की वजह से भी तीन दिन लगातार की छुट्ïटी और अंत में 17 अक्टूबर का दीपावली की गजटेड छुट्ïटी 18 को रविवार व 19 अक्टूबर को भैया दूज की प्रतिबंधित छुट्ïटी की वजह से यह माह सरकारी दफ्तरों के लिए आरामदायक रहा। हालांकि नवंबर महीनों में छुट्ïिटयों का थोड़ा टोटा रहा पर दिसबंर की 4 लगातार छुट्ïिटयां सरकारी कर्मचारियों को बल्ले बल्ले करने के लिए उत्साहित कर रही हैं। 25 दिसंबर को क्रिसमस, 26 को शनिवार व 27 को रविवार तथा अगले दिन सोमवार को मोहर्रम की छुट्ïटी तय थी ही साथ ही 1 जनवरी 2010 को शुक्रवार फिर शनिवार और रविवार की छुट्टी से ये बाबू उत्साहित हैं। मनोज manragini.blogspot.com
Thursday, December 31, 2009
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3 Comments:
badiya hai
achha lekh hai
par chepa hua hai dost
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