काफी पहले से विशेषज्ञ, सोने की खरीदी को एक अच्छे निवेश के रूप में मान्यता दे चुके हैं। पिछले महीने सोना 16,000 के आंकड़े को पार कर गया। फैशन के तौर पर महिलाओं की पहली पसंद सोना, अब फटाफट पैसे बनाने के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि आज के दौर में आसमान छूती सोने की कीमतें, निवेश का सबसे सुरक्षित माध्यम है।
अगर आप कम दाम पर सोना खरीदने की हसरत पाले बैठें हैं तो अपनी इस हसरत को किनारे रख दें तो ही बेहतर है। विशेषज्ञों की माने तो दीपावली के अवसर पर बालिग हुआ सोना, फिलहाल नीचे उतरने के मूड में नहीं है। अक्टूबर में सोने का दाम पिछले साल का रिकार्ड भले ही न तोड़ पाया हो पर यह दीपावली पर 16000 का आकड़ा पार कर गया। विशेषज्ञों की माने तो आने वाले महीनों में यह 18 हजार के आंकड़े को भी पार कर जाएगा और आने वाले चार पांच महीने तक इसके नीचे गिरने के आसार नहीं हैं। फैशन के साथ-साथ, स्टेटस सिंबल बन चुका सोना अब निवेश के मामले में प्रॉपर्टी को भी पीछे छोड़ चुका है। आज का सबसे बड़ा सच यही है कि सोना, निवेश का सबसे उत्तम और कारगर तरीका बन चुका है। मंदी के दौर में निवेशक सोने पर निवेश करने को सबसे सुरक्षित मानते हैं क्योंकि सोने के बढ़ते अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य के चलते इसपर, किसी देश विशेष की आर्थिक, राजनीतिक या गृहसंकट का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
भारतीय संदर्भ में सोने के भाव को देखें तो 70 के दशक में एक लाख रुपए के सोने का मालिक आज 80 लाख का मालिक है। कहना गलत न होगा कि सोने के दाम पिछले 40 सालों में 80 गुना बढ़े हैं। जब 2006 में सोना 7,700 प्रति 10 ग्राम हुआ था तब विशेषज्ञों ने सोना खरीदने की सिफारिश की थी जिसे लोगों ने सिरे से नकार दिया था। उनका मानना था कि सोना इतने मंहगें दाम पर टिक ही नहीं पाएगा पर उनकी सोच को धता बता सोना, लगातार और मंहगा होता चला गया। जहां 2007 में यह 9, 200 रुपए प्रति 10 ग्राम था वहीं जनवरी 2008 में दस हजारी होकर 10,700 रुपए प्रति 10 ग्राम बिका और इसके बाद लगातार सोने के भाव बढ़ते ही गए। इतिहास में पहली बार सोने ने 13 हजार, फिर 14 हजार, फिर 15 हजार का आंकड़ा पार कर लिया। हद तो तब हो गई जब 2008 के अक्टूबर-नवंबर आते-आते इसके दाम 17,000 प्रति 10 ग्राम पहुंच गया जो अपने आप में एक रिकार्ड था। तब जाकर लोगों ने माना कि विशेषज्ञों की सोना खरीदने की सलाह देना कोई गफलत नहीं थी। हालांकि 2009 में पूरे साल सोना 15,000 के आसपास रहा पर दीपावली में इसकी कीमतों ने फिर छलांग लगाई और एक बार फिर सारे रिकार्ड तोड़ कर यह 16,000 के आकड़े को पार कर गया।
भारत में सोने और चांदी की इस रिकार्ड तोड़ कीमत का कारण इसके प्रति भारतीयों की दीवानगी है। यह दीवानगी उतनी ही पुरानी है जितनी भारतीय सभ्यता। हमेशा से भारत में सोने और चांदी की मांग अन्य धातुओं की तुलना में ज्यादा रही है। जिसकी आपूर्ति पहले दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया किया
करते थे पर अब इस लिस्ट में भारत का पड़ोसी देश चीन और पेरू भी शामिल हो गया है। आपको बता दें कि विश्व के परिदृश्य पर एक छोटे से देश के तौर पर पहचाना जाने वाला पेरू 175 टन सोने और 3500 टन चांदी का उत्पादन करता है जबकि सोने और चांदी का इतना बड़ा बाजार होने के बावजूद, भारत आज भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है। सोने के चढ़ते भाव का कारण डॉलर के यूरो के सामने दिन पर दिन कमजोर होने को माना जा रहा है। मंदी के दौर में लोगों को सोने में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित लग रहा है। जहां एक ओर अन्य किसी भी प्रकार के निवेश को मुद्रास्फीति की दर प्रभावित करती है वहीं सोने की स्थिति, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में चढ़ते दाम और बढ़ती मांग के चलते कभी डावांडोल नहीं होती है।
किसी भी वस्तु का मूल्य सामान्य तौर पर उसकी मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। सोने के बढ़ते दाम का एक कारण, मांग की तुलना में आपूर्ति का कम होना है। विश्व स्वर्ण परिषद की माने तो पिछले कुछ सालों में पूरे विशमव में, सोने का खनन 2500 टन के आसपास हुआ है जिममें से 2000 टन का इस्तेमाल गहनों के लिए किया गया और 500 टन दंत उद्योग, खुदरा निवेशकों और मुद्रा कोष में गया। अब मांग पर ध्यान दें। फिलहाल बाजार में सोने की मांग लगभग 3000 टन है, जो 2000 टन की आपूर्ति होने के बावजूद, मौजूदा मांग से 1000 टन कम है। यही कारण है कि सोने के दाम दिन पर दिन आसमान छू रहें हैं। सोने के बढ़ते दामों में केन्द्रिय बैंकों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की भी महती भूमिका होती है। इसके अलावा डॉलर का यूरो के सामने कमजोर पडऩा भी सोने का भाव बढ़ा रहा है।
भारत में सोना खरीदने का मतलब सोने के गहने खरीदना ही होता है क्योंकि भारतीय महिलाओं को सोने के गहनों में खासी चिहचस्पी होती है। यह एक स्टेटस सिंबल है जो किसी परिवार की सम्पन्नता और समाज में उसकी स्थिति को परिलक्षित करने के तरीके के तौर पर देखा जाता है। इसलिए भारत में सोना, गहनों के रूप में ज्यादा बिकता है। भारत में भले ही सोने को लेकर एक सॉफ्ट कार्नर और अलग सा भाव हो पर विशेषज्ञों की माने तो स्वर्ण में निवेश का सबसे सही तरीका, ठोस स्वर्ण या सिक्के खरीदना है। सोने के सिक्कों को खरीदने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे बेचते समय किसी भी प्रकार की कटौती नहीं होती। साफ है कि सोने का जो बाजार भाव उस समय होगा, वह बिना किसी काट छांट के निवेशक को मिलेगा।
एक वक्त था जब सोने और डालर की कीमत लगभग समान थी। लोग सोने को डॉलर और डॉलर को आसानी से सोने में बदल सकते थे। बैंक, डॉलर की तरह सोने का भी आदान प्रदान किया करते थे। बाद में यह चलन बंद हो गया पर आज भी सोने और डॉलर का नाता अटूट है। यानी कहीं न कहीं डॉलर और सोने में संबंध अब भी है। तभी तो विश्व बाजार में डॉलर की गिरती कीमतें, सोने और चांदी के भाव बढ़ाने के लिए काफी है।
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