पुराने कलाकारों की नज़र में भांड का दर्जा पाने वाले आज के फिल्मी कलाकार, प्रति मिनट लाखों कमा रहे हैं। आज के दौर के ये कलाकार पैसों के लिए, किसी को भी अपना रिश्तेदार बताने से भी नहीं चूकते। ये अपने इन कीमती पलों की कीमत लगाकर, अपना भविष्य सुरक्षित कर रहे हैं जिसकी पुराने कलाकारों ने कभी फिक्र नहीं की और जिसके चलते उन्हें अपने आखिरी दिन गरीबी में काटने पड़े। पेश है मिनटों में लाखों कमाने वाले आज के इन कलाकारों की कमाई की एक झलक- पिछले दिनों एक शादी में बिपाशा बसु और जॉन अब्राहम ने शिरकत की। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि वे इस शादी में क्यों शिरकत कर रहे हैं तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा कि यह उनके पुराने पारिवारिक मित्र की शादी है। बाद में पता चला कि उसमें शिरकत करने के लिए दोनों एक पैकेज के तहत आए थे जिसके लिए उन्हें एक मोटी रकम दी गई थी। इसी तरह कुछ समय पूर्व कैटरीना कैफ भी दिल्ली में अपने एक तथाकथित रिश्तेदार के यहां एक कार्यक्रम में कुछ पलों के लिए आयी थीं जिसके लिए उन्होंने 57 लाख रुपए लिए थे। वैसे भी अब वह दिन लद गए जब फिल्मी कलाकार किसी दोस्त या रिश्तेदार की शादी में शिरकत कर, उसके पूरे परिवार पर अहसान जताया करते थे। अब तो ये कलाकार पैसों के संगी हैं। इन नए कलाकारों का अपने प्रतिपल की कीमत तय करने के पीछे का कारण वह सत्य है जिसे पुराने कलाकारों ने अनदेखा कर दिया था। खुद को दुनिया से अलग और महत्वपूर्ण दिखाने के चक्कर में इन पुराने कलाकारों ने कभी भी लोगों के बीच जाने को प्राथमिकता नहीं दी और खुद को बस एक्टिंग के दायरे में समेटे रखा। बाद में उनका यह व्यवहार, उस कटु सत्य के रूप में लोगों के सामने आया जिससे आज के कलाकार खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं। फिल्मी दुनिया की विशेषता है कि 'जो दिखता है वही बिकता हैÓ। जब तक कलाकार हिट हैं लोगों के बीच उनकी पूछपरख तो होती ही है, वे लाखो के आसामी भी होते हैं। जैसे ही उनका शरीर काम करना बंद करता है जब उनके पास न तो शोहरत बचती है और न ही पैसे। ऐसे कई कलाकार हैं जिनका बुढ़ापा या बीमारी पैसों के आभाव में बीता है। अपने जमाने की श्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से एक मधुबाला जब कैंसर से पाडि़त थी और काम करने में अक्षम थीं, तब अगर किशोर कुमार उनका सहारा नहीं बनते तो उनकी मौत शायद और भी दर्दनाक होती। किशोर कुमार ने मधुबाला से सिर्फ इसलिए शादी की थी ताकि वह मधुबाला के इलाज में उनकी मदद कर सकें। पर सबकी किस्मत मधु जैसी नहीं होती है। ये बात जगजाहिर है कि अपने जमाने के जाने माने कलाकार संजीव कुमार ने अपने आखिरी दिन, पैसों के आभाव में बिताएं हैं। इनके अलावा भी ऐसे कई कलाकार हैं जिन्होंने अपने आखिर दिनों में तंगी देखी है। तंगी के इसी दौर से अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए ये कलाकार अपनी प्रसिद्धी के हर पल को 'कैशÓ कर लेना चाहते हैं। अपने वरिष्ठों की ऐसी दशा देखकर नए कलाकारों ने उनसे प्रेरणा ली। आज के कलाकार यह जानते हैं कि फिल्मी दुनिया 'चार दिन की चांदनीÓ है। यह कोई सरकारी नौकरी तो है नहीं कि आगे चलकर सरकार पेंशन देगी। इसीलिए ये लोग अपनी प्रसिद्ध को भुनाने का कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते। यही कारण है कि शादी से लेकर बच्चे के जन्म की खुशी में भी ये कलाकार किसी को भी अपना रिश्तेदार बता सकते हैं। बशर्ते उनकी इस 'मेहरबानीÓ के लिए, लोग मोटी रकम देने का दमखम रखते हों। 'पैसा फेंक तमाशा देखÓ की तर्ज पर लोगों की पार्टियों में शिरकत करने वाले, नई पीढ़ी के इन कलाकारों को भले ही पुराने कलाकार 'भांडÓ की संज्ञा दें पर इन पार्टियों से मिलने वाले पैसों के सामने उन्हें ये आरोप छोटे प्रतीतहोते हैं। आज के कलाकार खुद को किसी उद्योगपति से कमतर नहीं मानते। जब फिल्म इंडस्ट्री, उद्योग क ा रूप अख्तियार कर चुकी हैं तो इसमें काम करने वाले कलाकार अगर खुद को उद्योगपति और अपने हर काम को बिजनेस मानकर कर रहे हैं तो इसमें किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। अब चूंकि स्टार उद्योगपति की तर्ज पर काम कर रहे हैं तो उन्हें अपने हर उस पल के लिए पैसे चाहिए जो वे फिल्मों के अलावा लोगों के बीच जाकर बिताते हैं। उनके इन कामों में किसी पार्टी में डांस करने से लेकर फीता काटने तक और किसी के बच्चे के बर्थडे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना तक शामिल है। अगली बार पढि़ए कि आखिर क्यों इन कलाकारों को मिनटों के लाखों मिलते हैं?
Monday, February 1, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 Comment:
aapka yeh lekh bhi padha.sarokar to isme bhi dikhe lekin mai prabhavit nahi hua.yeh bazarwad ka daur hai.isme management ka important role hota hai. agar kalakar apna bhavishya surkshit ker rahe hain to burai kya hai? insurance companiyan bhi to bhavishya suraksha ka pralobhan deti hain. anyway lekh achchha hai. KEEP IT UP
Post a Comment