Friday, January 29, 2010

आधी दुनिया पर पूरी पाबंदी

विदेशों में लोग खुले विचारों के होते हैं, अधिसंख्य लोगों की यही मान्यता है। मगर, यूरोपीय देशों को छोड़कर मध्य एशिया, अफ्रीका और मुस्लिम बहुल देशों में महिलाओं की स्थिति बद से बदत्तर है। वह क्या पहनती है, कहां जाती है, किससे बात करती है - हरेक क्रियाकलाप पर पैनी निगाह रखी जाती है। यहां तक स्कूल जाने वाली छात्रा तक को नहीं छोड़ा जाता।
सऊदी अरब में एक किशोरी को स्कूल में मोबाइल फोन ले जाने के कारण 90 कोड़े लगाने और 2 महीने की जेल की सजा दी गई । यह फैसला जुबैल सहर की एक अदालत ने दिया है। लड़की महज 13 साल की । उसे उसके सहपाठी के सामने कोड़े लगाए गए। सऊदी अरब में लड़कियों के स्कूल में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध है। यह सजा चोर और लुटेरों को दी जाने वाली सजा से भी कड़ी है।
इसी प्रकार इंडोनेशिया में मुस्लिम महिलाओं के लिए टाइट जींस पहनना अब मुश्किल हो गया है। अधिकारियों के मुताबिक, नए कानून के तहत महिलाएं अगर टाइट जींस पहने दिखीं तो वहीं पर तुरंत उन्हें स्कर्ट पहनवाई जाएगी। इन स्कर्ट का आकार-प्रकार सरकार द्वारा तय मानदंड के मुताबिक रहेगा। इस स्कर्ट को सरकार मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। साथ ही उनके आपत्तिजनक कपड़ों को तुरंत काटकर टुकड़े-टुकड़े कर दिया जाएगा। अगर उन्हें जींस पहननी ही है तो लॉन्ग स्कर्ट के नीचे पहनें जिसमें टखने तक ढका हुआ हो। अधिकारियों के मुताबिक, यह नियम सिर्फ महिलाओं पर ही नहीं बल्कि पुरुषों पर भी लागू होगा। हालांकि उनके मामले में शॉर्ट्स पहनने की मनाही होगी। ये नियम स्थानीय धार्मिक नेताओं के सुझाव पर लागू किए गए। ये सिर्फ बहुसंख्यक मुस्लिम जनसंख्या पर ही लागू होंगे। चूंकि हम गैर मुस्लिमों की भावनाओं की कद्र करते हैं, इसलिए उन्हें घबराने की जरूरत नहीं। दूसरी तरफ, सूडान की एक ईसाई किशोरी को घुटने की लंबाई तक की स्कर्ट पहनने को एक जज ने अभद्र करार देते हुए उसे 50 बार कोड़ा मारने की सजा सुनाई । किशोरी के नाबालिग होने का हवाला देते हुए उसकी सजा को सूडानी कानून के विरूद्ध बताते हुए वकील अजहरी अल हज ने कहा कि सिल्वा कासिफ (16)के परिवार ने पुलिस और जज पर मुकदमा दायर करने की योजना तैयार की । हज ने कहा कि सिल्वा नाबालिग है। वह मुस्लिम नहीं है और जब उसके खिलाफ फैसला सुनाया गया तो उसे अपने अभिभावक तक से संपर्क साधने का मौका नहीं दिया गया। सूडान में ही एक महिला पत्रकार को 40 कोड़े मारने की सजा दी गई है, क्योंकि उसने पतलून पहन रखी थी और इस्लाम में महिलाओं के पतलून पहनने पर पाबन्दी है। संयुक्त राष्ट्र की सूचना अधिकारी लुबना अहमद हुसैन को यह सजा दी गई । लुबना के साथ पकड़ी गई अन्य महिलाओं को 10-10 कोड़े मारे गये, लेकिन लुबना ने अपने लिये वकील की मांग कर डाली इसलिये उन्हें 40 कोड़े मारे गए।
वहीं, ईरान में औरतों को मेकअप कर टीवी पर आने की मनाही कर दी गई है। क्योंकि यह इस्लामी कानून या शरीयत के खिलाफ है। सुधारवादी अखबार ने सरकारी टेलिविजन के प्रमुख एजातुल्ला जरगामी के हवाले से कहा कि कार्यक्रमों के दौरान महिलाओं द्वारा मेकअप गैरकानूनी और इस्लामी शरीयत के खिलाफ है। ऐसा कोई मामला नजर नहीं आना चाहिए, जिसमें किसी महिला ने टीवी पर किसी कार्यक्रम के दौरान मेकअप किया हो। देश के शीर्ष नेता अयातुल्ला अली खमेनई द्वारा प्रतिष्ठित रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के दोबारा नियुक्त किए गए पूर्व सदस्य जरगामी ने यह आदेश भी दिया है कि महिला मेहमानों की खातिरदारी भी महिलाओं द्वारा की जाए।
इस्लाम में महिलाओं की स्थिति क्या है किसी से छिपी नहीं है किसी को बताने की जरूरत भी नहीं है। शाहवानो से लेकर तस्लीमा तक सभी इस्लाम में आपकी स्थिति को बयां कर रही है। भारत से अधिक पाबंदी तो विदेशों में है। किसी को महिला को आपने शौहर के सम्पत्ति में जगह नहीं मिल पा रही है तो कोई महिला कठमुल्लाओं से आपने अबरू और प्राण की रक्षा के लिये जूझ रही है। इस्लाम में नारी की आबरू को नंगा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है, कुछ कठमुल्ले नारी के पति को उनकी औलाद तो कभी उसके स्वसुर को उसका पति घोषित कर देता है।
मुस्लिम महिला कहती है, इस्लाम में औरतों की हालत किसी मुस्लिम लड़की के बाप या भाई से पूछो। हमारी जि़ंदगी से तो मौत अच्छी। हर बात पर हमारी औकात बता दी जाती है. मेरा भाई एक ईसाई लड़की से शादी करना चाहता था, वो एक बार मुझसे बाहर मिली और जब मैने उसे अपने तौर तरीके बताए तो उसके चेहरे का रंग उतर गया. उसके मां बाप ने इसके बाद मेरे भाईजान को अपने घर बुलाकर बात चीत की। मुझे पता चला कि मेरा भाई उनके सवालों का कोई जवाब नहीं दे सका। उस दिन के बाद वो मेरे भाई से दुबारा नहीं मिली. मेरा भाई, मेरे अब्बा से बहुत ज़्यादा उखड़ चुका है. अब ये हाल है कि मेरा भाई जो पाँच वक़्त का नमाज़ी था, मज़हब के नाम से ही चिढऩे लगा है. बड़ी बात नहीं अगर मुझे पता चले कि उसने अपना मज़हब बदल लिया है। सच पूछो तो मुझे अपने भाई से बहुत हमदर्दी है मगर मुस्लिम लड़कियों की जि़ंदगी अख़बार में छपने वाली बातें नहीं हक़ीकत होती है, जो ना तो रंगीन है और ना ही सपनीली।

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नीलम