मनमोहन सिंह ने जबसे दूसरी बार सत्ता की कमान संभाली है, तब से चैन नहीं मिल रहा है। कभी महंगाई के मुद्ïदे पर जनता के सवालों से बचते वित्त मंत्री और उनको घेरते विपक्षी, तो कभी चीनी के बढ़ते दाम पर कृषि मंत्रि का अटपटा बयान। हद तो तब हो जाती है, जब कांग्रेस के ही कुछ मंत्री आपस में लड़ बैठते हैं। इनको समझाने-बुझाने में फेर में मनमोहन जी ज्यादा परेशान नजर आते हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में किये गये फेर-बदल से कुछ मंत्रियों की नाराजगी ऐसी जगजाहिर हुई कि पूछिये मत! बाकायदा सोनिया गांधी व मनमोहन सिंह को हस्तक्षेप कर मामला शांत करना पड़ा। तब से लेकर अब तक ये मंत्री नेता आपसे में लड़ते रहते हैं और बेचारे बड़े नेता इन्हें समझाते रहते हैं। कांग्रेसी गलियारों में आजकल कुछ किस्से चटखारे ले-लेकर सुने जा रहे हैं। जैसा कि पुरातन सत्य है कि पर निन्दा में लोगों को बड़ा रस मिलता है और यह निंदा रसूखदार मंत्रियों की हो, तो क्या कहने। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने मंत्रियों के बीच बढ़ती अनबन से काफी परेशान हैं। मामला शुरु होता है दो कैबिनेट मंत्रियों के बीच, खबर है कि हाल ही में दोनों मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर काफी गर्मा-गर्म बहस हुई। जिसकी चर्चा कांग्रेसी नेताओं में आम है। पिछली यूपीए सरकार के एक वरिष्ठï मंत्री इस बात पर नाराज हैं कि उनका विभाग उनको दे दिया गया जो पिछली बार राज्य मंत्री थे। इन मंत्री महाशय का यह दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान उस विभाग को राष्टï्रीय से अंतर्राष्टï्रीय स्तर का बना दिया था। जबकि विभाग के मौजूदा मंत्री राजनीति में भी उनसे कम अनुभव वाले हैं। हाल ही में एक अंग्रेजी पत्रिका द्वारा मंत्रीजी के पुराने विभाग में हुये एक घोटाले का पर्दाफाश किया गया, जिसे लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा मचाया। इस बात से कैबिनेट मंत्री जी खासे नाराज हो गये, उन्होंने यह भी पता लगा लिया पत्रिका को यह खबर लीक किसने की। मंत्री जी के करीबी लोगों ने इसका ठीकरा उनके पुराने विभाग के मौजूदा मंत्री के सिर फोड़ दिया। इसके बाद तेज-तर्रार मंत्री जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। फिर क्या था पुराने व नये मंत्री जी के बीच खूब कहा-सुनी हो गयी। इस तरह का मामला सिर्फ इन मंत्रियों तक ही सीमित नहीं है, इनके अलावा भी कई ऐसे मंत्री हैं, जो अपने विभागों को लेकर ज्यादा खुश नहीं हैं और अपने दबदबे का पूरा प्रयोग कर विभाग को बदलवाने की जोर-आजमाईश कर रहे हैं। कर्ई ऐसे भी कांग्रेसी मंत्री हैं, जो एक ही राज्य से आते हैं और एक ही विभाग में कैबिनेट व राज्य मंत्री बने हैं, ये नेता राज्य स्तर पर एक दूसरे के धुर-विरोधी हैं और केन्द्र में इनकी स्थिति ऐसी बनी कि साथ रहना ही पड़ता है। पर जैसे-जैसे गर्मी का पारा बढ़ता जाता है, इनके बीच तकरार व अनबन का माहौल भी गरम होने लगता है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं अपने मंत्रियों के इस कारनामे से बेहद क्षुब्ध हैं। लेकिन क्या करें, सत्ता है तो मंत्री हैं और मंत्री हैं तो दबदबा बनाना इनका काम है।
Monday, January 11, 2010
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2 Comments:
विषय से अच्छा प्रस्तुतीकरण है.. शब्दों का चयन अच्छा किया है आपने....लय बनी है..
pahali baar aapka blog dekha.aap bahut achha likhati hain. subhkamanaayen.
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