Wednesday, February 16, 2011

नौकरियां ही नौकरियां

आकर्षक नौकरी तलाशने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी है। भारतीय कंपनियों सहित तमाम सरकारी संस्थान और प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों की बहार आने वाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि आईटी, दूरसंचार, बैंकिंग और स्वास्थ्य जैसे चार क्षेत्रों में ही मार्च तक पांच लाख नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे।

पहले भारतीयों को रोजगार के लिए विदेशों का रुख करना पड़ता था, मगर अब विदेशी यहां आ रहे हैं। तमाम जानकार कह रहे हैं कि अगले कुछ महीनों में भारत में नौकरियों की बाढ़ आने वाली है। नौकरी दिलाने वाली देश की सबसे बड़ी 'एच आर कंसल्टेंसी मैनपावरÓ ने देश में नौकरी के अवसर पर अपने सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा किया है कि आने वाले दिनों में भारत में हर क्षेत्र में नौकरी के अनेक अवसर होंगे। सर्वेक्षण के मुताबिक जुलाई से सितंबर तिमाही में नौकरियों की तादाद काफी तेजी से बढ़ेगी। 36 देशों में हुए इस सर्वेक्षण में भारत का रोजगार दृष्टिकोण बाकी देशों से ज्यादा है। देश की ज्यादातर कंपनियों के मुताबिक जुलाई से सितंबर की बीच उनके ऑफिस में कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी। सबसे ज्यादा मौके होंगे माइनिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में। वहीं, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में भी नौकरियों के जमकर मौके होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमानों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्तवर्ष में 8.5 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकती है, जो वर्ष 2009-10 के 7.4 प्रतिशत से अधिक होगी। वैश्विक परामर्शक फर्मों के विशेषज्ञों के अनुसार वित्त वर्ष 2010-11 में विभिन्न क्षेत्रों और कंपनियों के विभिन्न स्तरों पर नौकरियों की बरसात होगी। कहा जा रहा है कि दक्षता के साथ-साथ आधारभूत ढांचा में निवेश के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के 8.7 प्रतिशत सालाना की दर से बढऩे की संभावना है और वर्ष 2020 तक यहां 3.75 करोड़ रोजगारों का भी सृजन होगा। हाल ही में परामर्शक फर्म एक्सेंचर ने विश्व आर्थिक मंच में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत, जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन जैसी चार प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं कुल मिलाकर विश्व अर्थव्यवस्था के करीब 40 प्रतिशत के बराबर है। इसमें कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था मौजूदा समय में आठ प्रतिशत की विकास दर की उम्मीद के मुकाबले 8.7 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ेगी तथा वर्ष 2020 तक मौजूदा उम्मीद के मुकाबले 3.75 करोड़ अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। तमाम विदेशी संस्थाएं भी अब इस सच को अब जान चुकी हैं कि भारत में दक्षता और कर्मठता की कमी नहीं है। तभी तो दक्ष पेशेवरों की उपलब्धता तथा कम लागत के चलते वैश्विक कामकाजी भूमिका वाले बड़े रोजगार भारत आने लगे हैं। विश्व की नामी-गिरामी कंपनियां यहां निवेश करने के लिए लालायित हैं। अंतरराष्टï्रीय सर्वे की संस्था ग्लोबल हंट का मानना है कि बीते दो-तीन वर्ष में भारत आने वाले वैश्विक भूमिका वाले रोजगारों में 25-35 प्रतिशत वृद्धि हुई है। भारत को बड़ी संख्या में दक्ष पेशेवर बहुत ही प्रतिस्पर्धी लागत पर उपलब्ध होने का लाभ मिल रहा है। उनकी दक्षता वैश्विक है और प्रौद्योगिकी एवं विश्लेषण के लिहाज से उनका जोड़ नहीं है। लगभग 20 प्रतिशत कंपनियों ने भारत को क्षेत्रीय दर्जा दिया है और भारत उनके लिए अब एशिया प्रशांत का हिस्सा नहीं रह गया है। 15-20 प्रतिशत वैश्विक कर्मचारी अपने पदानुक्रम के लिहाज से भारतीय अधिकारियों के अधीन आ रहे हैं। मिलिट्री तथा न्यूक्लियर हार्डवेयर और सिविलियन एयरक्राफ्ट व इन्फ्रास्ट्रक्चर इक्विपमेंट अकेले ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें अमेरिका के साथ भारतीय व्यापारिक संबंधों के चलते भविष्य में रोजगार के करीब सात लाख नए अवसर पैदा होंगे। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की रिपोर्ट 'इंडिया - ए ग्रोथ पार्टनर इन द यूएस इकोनॉमीÓ के अनुसार भारतीय बिजनेस अब अमरीका के दूसरे कई क्षेत्रों में पैर पसार रहा है, जबकि पहले वह केवल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और आईटी संबंधित सेवाओं तक ही सीमित था। अमेरिका में व्यापार कर रहीं भारतीय कंपनियां ज्यादा से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों को नौकरियां दे रही हैं और कम्यूनिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम में भी सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रही हैं। अनुमान है कि अमेरिका में भारतीय कंपनियां लंबी पारी खेलेंगी। गौरतलब है कि अपने भारत दौरे के समय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच करोड़ों डॉलर की डील की है, जिसमें कई इक्विपमेंट और दर्जनों एयरक्राफ्ट के ऑर्डर शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि कंज्यूमर ड्यूरेबल निर्माता एलजी ने भी अगले वित्त वर्ष में 10 हजार सेल्स पेशेवर नियुक्त करने की योजना बनाई है। निजी कंपनियों के अलावा, सरकारी बिजली उपकरण निर्माता भेल ने आठ हजार लोगों को भर्ती करने का ऐलान किया है। भेल के सीएमडी बीपी. राव के अनुसार, कंपनी बीते दो वर्ष के दौरान भी आठ हजार कर्मचारी भर्ती कर चुकी है।अपने कामकाज को गति देने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अब थोक में भर्तियां करने जा रहा है और 90 वरिष्ठ पद के अधिकारियों की नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे हैं। ये अधिकारी विधि, अनुसंधान और सामान्य प्रशासन कार्य के लिए भर्ती किए जाएंगे।सेबी ने नई नियुक्तियों की शुरुआत ऐसे समय की है, जबकि संस्था में नए चेयरमैन की तलाश चल रही है। सेबी के चेयरमैन सीबी भावे का कार्यकाल फरवरी, 2011 को पूरा हो रहा है। इसी तरह अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस लाइफ अपनी विस्तार योजना के तहत चालू आगामी वित्त वर्ष में 3,000 बिक्री प्रबंधकों की नियुक्ति करेगी। साथ ही, कंपनी ने 1.5 लाख बीमा एजेंटों की नियुक्ति की भी योजना बनाई है। रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस के अध्यक्ष एवं कार्यकारी निदेशक मलय घोष के अनुसार, हम अपने कर्मचारियों की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि करने जा रहे हैं। देश का दिग्गज निजी बैंक आईसीआईसीआई आने वाले समय में सात हजार कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना पर काम कर रहा है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने कार्यक्षमता बढ़ाने और बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए करीब 38,000 लोगों की नियुक्ति करने की योजना बनाई है। टीसीएस के एचआर प्रमुख अजय मुखर्जी के अनुसार, हम करीब 38,000 लोगों की नियुक्तियां करने जा रहे हैं। इनमें 20,000 लोग ट्रेनी लेवल पर और 10,000 मिड-लेवल पर लिए जाएंगे।मंदी ने सबसे ज्यादा किसी एक सेक्टर को मारा था, तो वह है टेक्सटाइल एवं गारमेंट सेक्टर, लेकिन अब यह बीते जमाने की बात हो गई है। अब टेक्सटाइल कंपनियां काबिल लोगों की तलाश कर रही हैं। इस सेक्टर में लाखों रोजगार के मौके बन रहे हैं। टेक्सटाइल एक्सपोर्ट कंपनियों में छंटनी के शिकार हुए करीब 80 फीसदी लोगों को फिर से नौकरियों पर रख लिया गया है। वहीं, देश में टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने लगभग 21 फीसदी लोगों को रोजगार मुहैया कराया है, जो अगले पांच वर्षों में में 27-28 फीसदी तक बढ़ सकती है। एक आकलन के मुताबिक, बंगलुरू में 5,000 से 7,000 टेलरों की जरूरत है। वहीं, तिरुपुर में करीब एक लाख लोगों की जरूरत है। फिलहाल, तिरुपुर में करीब 4.5 लाख लोग अपैरल इंडस्ट्री से जुड़े हैं। हालांकि, बंगलुरू में हालात थोड़े अलग हैं। यहां करीब 50,000 लोगों को नौकरी से हटाया गया था, फिर भी इनमें से करीब 80 फीसदी लोगों ने फिर से ज्वाइन कर लिया है। वहीं, पिछले वर्ष मांग कमजोर रहने की वजह से कई यूनिटों को बंद कर दिया था। एक बार फिर से मांग बढऩे लगी है और उन बंद यूनिटों को फिर से खोलने का फैसला किया है। जानकारों की राय में भारतीय टेक्सटाइल उद्योग इस समय सनसेट इंडस्ट्री से सनराइज इंडस्ट्री के रूप में तब्दील हो रहा है। सरकार ने कुल 30 टेक्सटाइल पार्क मंजूर किए गए हैं, जिनमें करीब 16,953 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे 5.75 लाख रोजगार उपलब्ध होंगे। साथ ही, 1140 करोड़ रुपये तकनीक के अपग्रेडेशन पर खर्च होंगे। कहा जा सकता है कि टेक्सटाइल उद्योग के पुराने दिन लौट रहे हैं। विभिन्न औद्योगिक विकास कार्यक्रमों एवं निर्यात संवद्र्धन गतिविधियों के साथ तथा अतीत के प्रदर्शन एवं इस उद्योग की ताकत के मद्देनजर भारतीय चमड़ा उद्योग ने अपना उत्पादन बढ़ाने, 2013-14 तक निर्यात 7.03 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने और 10 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। आक्रामक निर्यात रणनीति ने समाज के कमजोर तबके के लिए आर्थिक वृद्धि एवं आर्थिक सशक्तिरण के युग का सूत्रपात किया है। ऑटो इंडस्ट्री का तो हर नया माह बिक्री के मामले में रिकॉर्ड बना रहा है। इस रफ्तार को बनाए रखने के लिए कंपनियों को चाहिए काबिल लोग। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के मुताबिक, देश की ऑटो कंपनियों को 2012 तक छह लाख कुशल लोगों की जरूरत है। देश की तीन बड़ी ऑटो कंपनियों ने करीब छह हजार नई नौकरियां देने का ऐलान किया है। मारुति इस साल साढ़े नौ सौ लोगों को नौकरी देगी। कंपनी मानेसर में नया प्लांट लगा रही है। अपनी क्षमता में बढ़ोतरी करने के साथ एक नया रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर बना रही है, जो 2012 तक बनकर तैयार होगा। इसके लिए मारुति को बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की जरूरत है। मारुति के अलावा जनरल मोटर्स भी भारत में अपने कर्मचारियों की क्षमता में 20 फीसदी की बढ़ोतरी करने जा रही है। कंपनी के हलोल और तालेगांव में प्रोडक्शन बढ़ाने के अलावा रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए कंपनी अपनी बंगलुरू इकाई में इंजीनियरों की भर्ती भी करेगी। पैसेंजर के साथ कॉमर्शियल वाहन बनाने वाली महिंद्रा एंड महिंद्रा को अपने नए प्लांट के लिए तीन से चार हजार लोगों की जरूरत है। कंपनी ये भर्तियां अगले दो वर्ष में पूरी कर लेगी। इसके अलावा, ह्युंदई भी चेन्नई में अपने रिसर्च सेंटर के लिए डेढ़ से दो हजार नए कर्मचारियों की भर्ती कर रही है। साथ ही, कई विदेशी कंपनियां भी भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर रही हैं। इसके चलते नए कर्मचारियों की जरूरत भी बढ़ रही है। इंडस्ट्री के मानकों के मुताबिक, एक कार की मैन्युफैक्चरिंग के लिए पांच कर्मचारियों की जरूरत होती है, जबकि एक कॉमर्शियल व्हीकल के उत्पादन में 13 लोग लगते हैं। ऐसे में मौजूदा क्षमता और विस्तार योजनाओं के मुताबिक अगले डेढ़ से दो साल में ऑटो इंडस्ट्री को करीब दस लाख नए कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी।बताया जा रहा है कि डेलॉयट टाउच तोहमात्सू इंडिया लि. की भारत में अगले तीन वर्ष में 10 करोड़ डॉलर निवेश की योजना है और वह अपने विस्तार कार्य में तेजी लाने के लिए यहां 3000 लोगों की भर्ती करेगी। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि उसकी योजना अपने कर्मचारियों की संख्या 2012 तक 20 प्रतिशत बढ़कर 18000 करने की है। कंपनी के देश में फिलहाल 15000 कर्मचारी हैं और उसके कार्यालय 13 स्थानों पर हैं।बेशक, सरकार की पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा रोजगार उपलब्धता में विस्तार के शुरू से ही प्रयास किए गए। आज बैंको की उदार नीतियों, स्कॉलरशिप्स, एजुकेशन लोन जैसी सुविधाओं से युवाओं के पास आगे बढऩे के काफी मौके उपलब्ध हैं। मेडिकल और इंजीनियरिंग सेक्टर में अभी भी योग्य लोगों की काफी कमी है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार गंभीरता से काम कर रही है। सरकार ने हाल ही में टॉप तकनीकी संस्थानों व मेडिकल संस्थानों में सीटों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। वे लोग, जो इस दायरे में नही आते हैं, उनके लिए भी सरकार प्रयासरत है। इसमें नेशनल काउंसिल फॅार वोकेशनल ट्रेनिंग की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिसके तहत सन 2020 तक करीब पांच करोड़ लोगों को दक्ष बनाया जाएगा। निश्चित तौर पर आने वाला समय युवाओं के लिए आशाओं से भरा है और जल्द ही निराशा का दौर समाप्त होने वाला है।

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नीलम