Tuesday, June 21, 2011

गोल्ड लोन लेने से पहले

गोल्ड लोन सोने के गहने या शुद्ध सोना जैसे ईंट आदि के बदले मिलता है। गोल्ड लोन सस्ता नहीं है। यह तभी लेना चाहिए जब आप निश्चित हों कि कर्ज की रकम भर सकते हैं। जरूरी नहीं है कि जिस सोने को गिरवी रखकर लोन लिया जा रहा है, उसे घोषित किया हो, पर अगर सोना और लोन ज्यादा हो तो आयकर वाले आपके पीछे पड़ सकते है। साथ ही अगर समय पर लोन चुकाया जाए तो कम रकम के लिए आप महंगे गहनों को गंवा सकते हैं। ‘जब घर में पड़ा है सोना तो काहे का रोना।’ आजकल टीवी और रेडियो पर यह लुभावना विज्ञापन अक्सर सुनाई पड़ता है। इसे देखकर लगता है कि जब भी आपको रुपयों की जरूरत हो तो गोल्ड लोन लेना कितना आसान और साधारण माध्यम है। आप एकदम और कभी भी लोन ले सकते हैं। पर क्या वाकई गोल्ड लोन लेना अच्छा, आसान और सुरक्षित है? आजकल अभिनेता अक्षय कुमार टीवी और रेडियो के विज्ञापनों में मन्नापुरम फाइनेंस के गोल्ड लोन के लिए यह जुमला कहते हुए नजर आते हैं। जिसे देकर लगता है कि लोन लेना कितना सरल है पर गोल्ड लोन जितना साधारण दिखता है कि बस अपने गोल्ड को गिरवी रखा और उसके बदले में आनुपातिक रूप में फाइनेंस कंपनी लोन दे देती है, यह उतना साधारण भी नहीं है। इसमें बहुत सारे जोखिम और कई कमियां हैं। गोल्ड लोन आपके सोने के गहने या शुद्ध सोना जैसे कि ईंट आदि को गिरवी रखकर दिया जाता है। और यह जरूरी नहीं है कि जिस सोने को आप गिरवी रखकर लोन लेने जा रहे हैं, उसे आपने घोषित किया हो, परंतु अगर सोना ज्यादा कीमत का हो और लोन भी ज्यादा हो तो आयकर महकमा बैंकों और फाइनेंस कंपनियों से जानकारी लेकर आपके पीछे पड़ सकता है। बहरहाल, गोल्ड लोन एक ऐसा उत्पाद है जो कि बहुत ही जल्दी आपको मिल जाता है। जल्दी से लोन मिलने का एकमात्र कारण है कि यह आपको सोने को गिरवी रखकर मिलता है। इसमें कर्ज लेने के लिए तमाम तरह की दूसरी औपचारिकताएं पूरी नहीं करनी पड़ती हैं। गोल्ड लोन की रकम सोने की मात्रा और शुद्धता के ऊपर निर्धारित की जाती है। लेकिन यहां पर सबसे बड़ी बात यह है कि गोल्ड लोन देने वाली संस्थाएं इस बात का ध्यान नहीं रखती हैं कि कर्ज लेने वाला कर्ज चुका भी पाएगा या नहीं? सोने के मूल्यांकन के सभी कंपनियों के पैमाने अलग-अलग होते हैं, अगर आपका सोना हालमार्क है तो उसकी कीमत अच्छी आंकी जाएगी और आपको ज्यादा लोन मिल पाएगा। परंतु अगर सोना हालमार्क नहीं है तो आपको बहुत सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि आपके ज्यादा कीमत वाले सोने का मूल्यांकन बहुत ही कम किया जा सकता है और आपका सोना जो कि कीमत में बहुत ज्यादा है उसे कर्ज देने वाली संस्था गिरवी रख लेगी। गोल्ड लोन केवल सोने के गहनों के बदले ही मिल सकता है। अगर गहने में किसी प्रकार का कोई महंगा रत्न आदि जड़ा हुआ है तो उसकी कीमत नहीं आंकी जाती है, और गहने के तोल में रत्न आदि का भार कम कर दिया जाता है। मूल्यांकन केवल सोने का ही किया जाता है। आपको लोन में कितनी रकम मिल सकती है यह उस सोने की मात्रा और शुद्धता पर निर्भर करता है, जो कि गिरवी रखा जाना है। कर्ज सोने के मूल्यांकन का 60 से 100 फीसद तक हो सकता है। यह सब तो ठीक है, परंतु यहां सोने के मूल्य के अनुपात में जिस पर लोन दिया जा रहा है, उसके लिए बाजार का अपना एक स्वाभाविक जोखिम है। जैसे कि बाजार में पिछले कुछ दिनों में देखने को मिला कि सोना कभी बहुत ज्यादा ऊपर पहुंच गया और फिर एकदम कम भाव पर आ गया। सोने के भाव में कमी होने पर कर्ज देने वाली कंपनी और कर्ज लेने वाला दोनों जोखिम में आ जाते हैं। बाजार में आजकल यही सोचा जाता है कि सोने का भाव केवल ऊपर ही जाएगा जो कि बाजार और ऐसी संस्थाओं के लिए बहुत बड़ा जोखिम है। गोल्ड लोन की अवधि साधारणतया एक महीने से लेकर दो बरस तक की होती है और अगर आपको लोन की अवधि बढ़ानी है तो बढ़ा भी सकते हैं, परंतु उसके लिए ये संस्थाएं शुल्क के नाम पर कुछ अतिरिक्तपैसा आपकी जेब से निकाल लेती हैं। गोल्ड लोन पर ब्याज दर 11 से लेकर 28 फीसद प्रति वर्ष तक हैं। ब्याज दर गोल्ड लोन की रकम पर निर्भर करती है, जितना सोना आपने गिरवी रखा है और उसके बदले में मिलने वाली रकम अगर ज्यादा होगी तो ब्याज ज्यादा ब्याज और रकम कम होगी तो ब्याज भी कम। साथ ही ब्याज की दर निर्भर करती है गोल्ड लोन के अनुपात पर, अगर अनुपात ज्यादा है तो ब्याज ज्यादा होगा और अगर कम अनुपात होगा तो ब्याज करीब 12 फीसद होगा। ज्यादा समय के लिए ज्यादा ब्याज देय होता है और कम समय के लिए कम ब्याज देय होता है। कर्ज देने वाली संस्थाओं और बैंकों को सुनिश्चित करना होता है कि सोना शुद्ध है और नकली नहीं है। अगर वे यह सुनिश्चित नहीं कर पाती हैं तो उनके लिए तो पूरा कर्ज ही घाटे का सदा बन जाता है। ब्याज दर के अलावा अतिरिक्तशुल्क क्या है? कर्ज लेने वाले को इसका पता भी पहले ही लगा लेना चाहिए। अतिरिक्तशुल्क जैसे कि प्रोसेसिंग चार्जिज, समय के पहले कर्ज अदा करने पर शुल्क जो कि गोल्ड लोन के 0.5 से एक फीसद तक कुछ भी हो सकता है। फिर अगर लोन को रिन्यूवल करवाना है तो लोन की अवधि के अनुसार उसका भी अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है। अगर इसी दौरान कर्ज लेने वाले को कुछ हो जाए तो कर्ज देने वाला उसके लिए बीमा करवाते हैं, जिससे लोन की रकम भरी जा सके और सोना कर्ज लेने वाले के परिवार को लौटा दिया जाता है। बीमे का शुल्क भी अतिरिक्त होता है। गोल्ड लोन अधिकतर ईएमआई आधारित नहीं होता है। लोन की अवधि में कभी भी भुगतान किया जा सकता है। जैसे कि अगर एक वर्ष के लिए लोन लिया है तो आप एक वर्ष में उस लोन का भुगतान कभी भी कर सकते हैं। गोल्ड लोन में डिफाल्टर दर बहुत ही कम होती है। कर्ज लेने वाले तीस फीसद लोग तो उसी माह में लोन चुकता कर देते हैं। बाजार में गोल्ड लोन में डिफाल्टर दर दो फीसद से भी कम होती है। अगर कोई डिफाल्टर होता भी हैतो कर्जदाता कंपनी या बैंक गिरवी में रखा गया सोना या गहना बेचकर अपनी रकम वसूल कर लेते हैं। लेकिन गिरवी रखे गए सोने की नीलामी की प्रक्रिया बहुत लंबी है। गहने या सोने की नीलामी करने से पहले डिफाल्टर को रजिस्टर्ड पत्र भेजा जाता है, साथ ही उनसे बातचीत करके मामले को सुलझाने की कोशिश की जाती है, उन्हें कहा जाता है कि कम से कम ब्याज तो चुकाएं। फिर उन्हें कर्ज चुकाने के लिए और समय देने की कवायद शुरू की जाती है। कुल मिलाकर गोल्ड लोन सस्ता लोन नहीं है। और आपकोगोल्ड लोन तभी लेना चाहिए जब आप निश्चित हों कि निश्चित समय के बाद आप कर्ज की रकम वापस भरकर गोल्ड लोन चुका सकते हैं। हां, और किसी लोन से यह लोन लेना बहुत ही सरल है और लोन जल्दी भी मिल जाता है और अगर समय पर लोन नहीं चुकाया जाता है तो आप अपने महंगे सोने के गहनों को कम रकम के लोन के चक्कर में गंवा सकते हैं।

नीलम