श्रद्धा सुमन और नमन
लाडला था जो नाना और माँ का
जीवन था परिवार का
बिताये थे हसीं पल जिसके साथ
छाया था किसी का
कई बार बचा और लड़ा जो हमलों से
पर इस बार बच न सका साजिशो से
कभी करता था जो लोगों को याद
आज बस गया है यादों में और छोड़ गया है आँखों में नमी
याद करते है उसे हरपल हम
भर आँखों में नमी और दिल में श्रद्धा
Friday, May 21, 2010
तस्वीरों में राजीव
Posted by नीलम at 1:30 PM
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1 Comment:
बेहतरीन प्रस्तुति
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