Saturday, March 6, 2010
बाज़ार की जरुरत
सदियो से बाजार इंसान की जरूरतों को पूरा करता रहा है। पिछले डेढ़-दो दशको में भारत में बाजार के स्वरूप में काफी तेजी से बदलाव हुआ है। बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक में साप्ताहिक बाजारों और भव्य शॉपिंग मॉल के बाद अब टेली शॉपिंग, आनलाइन शॉपिंग और टीवी शॉपिंग ने बाज़ार को लोगों के बेडरुम तक पहुंचा दिया है।
शॉपिंग का एक खास फंडा यह है कि इसके लिए लोगों को तैयार होकर बाजार तक जाना पड़ता था। कई बार लोग थकावट की वजह से या किसी अन्य कारण से बाजार तभी जाते हैं जब इसका बहुत ज्यादा जरूरत हो। बाजार इस पर लगातार सोच रहा था कि कैसे लोगों तक आसानी से पहुंचा जाए। यानी किस तरह व्यक्ति अपने घर से बाहर निकले बगैर ही शॉपिंग कर सके। इस अवधारणा को अमली जामा पहनाया टेलिफोन और इंटरनेट ने। इनके आने से शुरू हुआ टेली-शॉपिंग और ऑॅनलाइन शॉपिंग का सिलसिला। अब लोगों के लिए यह जरूरी नहीं रह गया कि वे शॉपिंग करने के लिए तैयार होकर बाहर जाएं। अब वे टेलीफोन पर या ऑॅनलाइन ही चीजो का ऑॅर्डर करने लगे। भारत में ऐसी शॉपिंग को लेकर कई दिक्कतें भी आयीं जैसे इस तरह की शॉपिंग में माल बेचने वाला और माल दोनो अदृश्य थे। तो उपभोक्ता इस तरह की शॉपिंग पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं कर पाये। साथ ही आज भी बड़ी संख्या में भारतीय जनसंख्या नेट सेवी नहीं है। तो बाज़ार ने सिका तोड़ निकाला टेलीविजन के माध्यम से । आज इसकी पहुंच बेहद बढ़ चुकी थी। लगभग हर घर में टीवी पहुंच चुका था और आम दर्शक टीवी पर भरोसा करने लगा था। इससे बाजार में एक नयी अवधारणा आई-टीवी शॉपिंग। इसके मूल में यही था कि व्यक्ति जब चाहे शॉपिंग कर सके।
कुल मिलाकर अब आपको शॉपिंग के लिये अपनी गाड़ी का पेट्रोल जला कर बाजार जाने और दुकान दुकान घूम कर पाँव थकाने की कोई जरूरत नहीं है। इंटरनेट ने समस्त बाजार को आपके घर में ही ला कर रख दिया है। बस अपने कम्प्यूटर पर आन लाइन होइये या टीवी पर प्रोडक्ट का एड देखिए और हर चीज की दुकान आपके घर में ही हाजिर है। विदेशो में तो लोग अपना कीमती समय जरा भी नहीं गंवाते और सभी कामों को आनलाइन ही कर लेते हैं किन्तु भारत में अभी तक पूर्ण रूप से ऐसा नहीं हुआ है किन्तु यह जरूर है कि हम भी अब आनलाइन काम करने की दौड़ में शामिल हो चुके हैं और आनलाइन शॉपिंग का चलन यहाँ भी बढ़ता जा रहा है। इस शॉपिंग के जहां फायदे है वहीं घाटे भी हैं तो शॉपिंग करने से पहले कंपनी की विश्वसनीयता को को जांच परख कर ही शॉपिग करें।
Posted by नीलम at 2:48 PM
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