Friday, January 29, 2010
आधी दुनिया पर पूरी पाबंदी
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Thursday, January 28, 2010
पहले महंगाई, अब मौसम मार गई
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Wednesday, January 27, 2010
रानीतिक घोटाले
इतना होने के बाद आज भी न तो घोटाले कम हुई है और न ही जनता के पैसो का हेर फेर करने वाले घोटालेबाज आगे पढ़िए राजनितिक घोटालेबाजों की आखिरी किस्त इसी तरह 2003 उत्तर प्रदेश में ताज हेरिटेज कॉरिडोर घोटाले की परतें खुली जिसमें प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को विवादों के घेरे में ले लिया। मायावती पर आरोप है कि उन्होंने इतिहास के साथ खिलवाड़ किया है ताजमहल और लाल किले के बीच की जमीन बिल्डरों को बेच दी है। जबकि ताजमहल से लाल किले को साफ साफ देखने का उल्लेख इतिहास में भी है। ऐसे में इसके बीच को भूमि को बेचकर मायावती ने निजी स्वार्थो की पूर्ति की है। 175 करोड़ के इस घोटाले का मामला अब भी सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। इसके बाद 2003 में वह घोटाला हुआ जिसे घोटालों की मदर कहा जाता है। यह था अब्दुल करीम तेलगी के फर्जी स्टांप पेपर घोटाला। एक वाणिज्य स्नातक होने के नाते तेलगी को मांग और आपूर्ति का नियम समझने में जरा भी देर नहीं लगी और वह समझ गया कि देश में स्टांप पेपर की आपूर्ति की भारी कमी थी। 1994 में एक विधायक और राजस्व मंत्री की मदद से एक स्टांप विक्रेता का लाइसेंस प्राप्त कर तेलगी ने इस घोटाले को अंजाम दिया। उसके इस कांड में कई नेताओं और नौकरशालों के शामिल होने का शक है। लोगों को तेलगी के बयान का इंतजार है पर तेलगी की इस मामले में चुप्पी मामले की गंभीरता को और भी बढ़ाती है। फिलहाल तेलगी का मामला मुंबई हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसी तरह 2006 में जस्टिस पाठक समिति ने आरोप लगाया है कि 2001 में नटवर सिंह ने अपने पुत्र जगत सिंह के एक मित्र अंदलीब सहगल और आदित्य खन्ना को सद्दाम हुसैन के माध्यम से तेल का ठेका दिलवाया था जिसके बदले इन दोनों ने नटवर सिंह को कमीशन दिया था। आइल फॉर फूड के नाम से जाना जाने वाले इस घोटाले के चलते पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनके विधायक पुत्र जगत सिंह भी विवादों के घेरे में है। 2008 जांच में तमिलनाडू का 60,000 करोड़ रु स्पेक्ट्रम घोटाला भी लोगों के लिए चर्चा का विषय है इस घोटाले में द्रमुक परिवार के कई सदस्यों के संलिप्त होने का शक है। इनपर दूरसंचार के क्षेत्र विस्तार के लिए 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में गड़बड़ी का आरोप है। लोगों में 2 जी स्पैक्ट्रम घोटाले के तौर पर रेखांकित इस घोटाले में हजारों करोड़ की सरकारी खजाने क्षति हुई है। इस मामले में सीबीआई की जांच और छापे अब भी जारी हैं। और अब कोड़ा का 40 अरब का यह ताजा घोटाला जिसमें कई बड़े भारतीय नेताओं के शामिल होने का अंदाज़ा है। देश के अब तक के सबसे बड़े राजनीतिक घोटाले में कोडा साम्राज्य ने मुंबई से लेकर अफ्रीका के कई हिस्सों में लक्जरी होटल, मुंबई में तीन कंपनियों, थाईलैंड में एक होटल और एक कोयला खान अपने नाम करने के साथ दक्षिण अफ्रीका और लाइबेरिया में अवैध विदेशी मुद्रा के लेनदेन और संपत्ति खरीदी है जिसका कथित तौर पर मूल्य लगभग 40 अरब है। अभी तक कोड़ा ने अपना मुंह नहीं खोला है और हो सकता है खोले भी न पर इतने बड़े कांड को अकेले कोड़ा या बिहार के चंद लोगों के बलबूते अंजाम देना संभव नहीं है यह सभी जानते हैं। अब रहा सवाल किसी नाम जग जाहिर न करने का तो यह बात मधु भी अच्छी तरह जानते हैं कि करोड़ों के घोटाले की सजा के तौर पर उन्हें अधिक से अधिक कुछ वर्षों की ही सजा मिलेगी। जेल छूटने का बाद भी उनका राजनैतिक कैरियर बदस्तूर जारी रहेगा। यह भारत का जनता की विडंबना ही है कि जनता के पैसे का इतना बड़ा हेरफेर करने वालों को फिर से संसद तक पहुंचाना जनता की मजबूरी है उनके सामने कोई विकल्प ही नहीं होता। भारत जैसे देश में जहां भ्रष्टाचार और घोटालें के मुद्दे पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बात तक को अनदेखा कर दिया जाता है और सज़ा के तौर पर मात्र औपचारिकता पूरी की जाती है ऐसे देश में अगर हर दिन एक कोड़ा पैदा हों तो इसमें आश्चर्य कैसा?
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Saturday, January 23, 2010
तन्हाई
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Friday, January 22, 2010
मुद्दे हैं बेशुमार, विपक्ष है बीमार
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Friday, January 15, 2010
ककहरे को तलाशते गडकरी
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Thursday, January 14, 2010
मकर संक्रांति की ढेरों शुभकामनायें
मकर संक्रांति का सूरज एक नए सवेरे का प्रतीक माना जाता है सूरज की रोशनी धरती पर पड़ते ही लोग पवित्र नदियों में स्नान कर दान पुण्य में लग जाते है बाज़ार पतंग और मंजों से भर जाते है । बच्चे बूढ़े सभी लोग जोश के साथ पतंग उड़ाते है। आप सभी को मकर संक्रांति की ढेरो शुभकामनाए
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Wednesday, January 13, 2010
सामूहिक पर्व लोहड़ी
हड्डियां कँपा देने वाली सर्दी के बीच वसंत आने की खुशी में पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में मनाया जाने वाला लोहड़ी पर्व रात में आग जलाकर सामूहिक नाच-गाना तथा मूँगफली, पॉपकार्न और रेवड़ी खाने-खिलाने का त्यौहार है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार लोहड़ी पौष मास के अंत में मनाई जाती है। प्रायः यह पर्व सूर्य के उत्तरायण में होने के साथ मकर संक्रांति के आसपास पड़ता है। सूर्य के उत्तरायण होने का अर्थ है जाड़े में कमी। दिल्ली के ऐतिहासिक गुरुद्वारे रकाबगंज के मुख्य ग्रंथी गुरुचरण सिंह ने बताया कि लोहड़ी मुख्यतः नई फसल के आने और वसंत की शुरुआत का पर्व है। उन्होंने बताया कि सिख धर्म में कोई भी पर्व सोग (शोक) में नहीं मनाया जाता। लोहड़ी तो खैर नाच-गाने का पर्व है ही। उन्होंने बताया कि इस दिन लोग विभिन्न सरोवरों और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान करते हैं। इसके अलावा वे गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेकते हैं। दिल्ली के शीशगंज गुरुद्वारे के वरिष्ठ ग्रंथी ज्ञानी हेमसिंह ने बताया कि लोहड़ी शब्द दरअसल तिल और गुड़ से निर्मित रोड़ी से बना था। मूल में यह शब्द तिलोड़ी था और बाद में यह शब्द बदलकर लोहड़ी हो गया। उन्होंने कहा कि लोहड़ी एक सामुदायिक त्यौहार है जिसे सब लोग मिलकर मनाते हैं लिहाजा इसका धर्म से बहुत लेना-देना नहीं है। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही सर्द हवाओं में गर्मी आने लगती है। ये हवाएँ शिराओं में रक्त संचार बढ़ा देती हैं। इस वजह से मनुष्यों में स्वाभाविक खुशी और मस्ती बढ़ने लगती है। लोहड़ी दरअसल इसी मस्ती की शुरुआत का पर्व है। पंजाब की लोककथाओं के अनुसार मुगल शासनकाल के दौरान एक मुसलमान डाकू था दुल्ले भट्टी। उसका काम था राहगीरों को लूटना, लेकिन उसने हिन्दू लड़कियों का विवाह करवाया। इसके बाद से दुल्ला भट्टी जननायक बन गया। लोहड़ी के अवसर पर लड़के-लड़कियाँ आग के सामने नाचते समय जो लोकगीत गाते हैं उनमें इसी दुल्ले भट्टी का जिक्र बार-बार आता है। ग्रामीण जीवन के इस सामूहिक पर्व लोहड़ी पर बच्चे घर-घर जाकर माँगते हैं। इस दौरान लोकगीत गाने वाले बच्चों को लोग आग जलाने के लिए लकड़ियाँ, रेवड़ी, मूँगफली और पॉपकार्न आदि देते हैं।
रात्रि के समय आग जलाई जाती है तथा सभी लोग इस अग्नि की परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करते समय सभी लोग आदर-सम्मान पाने और दरिद्रता एवं गरीबी दूर होने की प्रार्थना करते हैं। लोहड़ी पर जलती आग के समक्ष महिलाएँ और बच्चे लोकगीत गाते हैं और नाचते हैं। इसके बाद लोगों को लोहड़ी के प्रसाद के रूप में गजक, मूँगफली और रेवड़ियाँ बाँटी जाती हैं। पंजाबी एवं सिख परिवारों में नवविवाहित जोड़े के लिए पहली लोहड़ी का विशेष महत्व होता है। इस दिन नए परिधान पहनकर नवविवाहित दंपति लोहड़ी की आग की पूजा करते हैं तथा परिवार एवं बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। नवजात बच्चे की पहली लोहड़ी को भी विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन नवजात बच्चे की माँ उसे गोद में लेती है तथा घर के सभी सदस्य उसे उपहार देते हैं। रात में बच्चा और माँ को अग्नि के पास ले जाया जाता है और उसकी पूजा करवाई जाती है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश के कुछ हिस्सों एवं दिल्ली में मनाया जाने वाला लोहड़ी पर्व दरअसल ग्रामीण भारत एवं लोकजीवन की उत्सव प्रियता की एक झलक है। सर्दी के मौसम में आग के समक्ष नाचना-गाना भला किसको अच्छा नहीं लगेगा और यह मौका अगर लोहड़ी के रूप में मिले तो मजा दुगना हो जाता है।
Posted by नीलम at 11:27 AM 0 comments
सारा आकाश
उसकी आखों में है सपना सुनहरे भविष्य का खुद को संवार कर अपने अपनों को संवारने का वह जान चुकी है कि अब सारा आकाश उसका है इसीलिए जो कभी तोड़ा करती थी पत्थर अब करती है अंतरिक्ष में चहल कदमी
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Monday, January 11, 2010
केन्द्रिय मंत्रियों की तू-तू, मैं-मैं
मनमोहन सिंह ने जबसे दूसरी बार सत्ता की कमान संभाली है, तब से चैन नहीं मिल रहा है। कभी महंगाई के मुद्ïदे पर जनता के सवालों से बचते वित्त मंत्री और उनको घेरते विपक्षी, तो कभी चीनी के बढ़ते दाम पर कृषि मंत्रि का अटपटा बयान। हद तो तब हो जाती है, जब कांग्रेस के ही कुछ मंत्री आपस में लड़ बैठते हैं। इनको समझाने-बुझाने में फेर में मनमोहन जी ज्यादा परेशान नजर आते हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में किये गये फेर-बदल से कुछ मंत्रियों की नाराजगी ऐसी जगजाहिर हुई कि पूछिये मत! बाकायदा सोनिया गांधी व मनमोहन सिंह को हस्तक्षेप कर मामला शांत करना पड़ा। तब से लेकर अब तक ये मंत्री नेता आपसे में लड़ते रहते हैं और बेचारे बड़े नेता इन्हें समझाते रहते हैं। कांग्रेसी गलियारों में आजकल कुछ किस्से चटखारे ले-लेकर सुने जा रहे हैं। जैसा कि पुरातन सत्य है कि पर निन्दा में लोगों को बड़ा रस मिलता है और यह निंदा रसूखदार मंत्रियों की हो, तो क्या कहने। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने मंत्रियों के बीच बढ़ती अनबन से काफी परेशान हैं। मामला शुरु होता है दो कैबिनेट मंत्रियों के बीच, खबर है कि हाल ही में दोनों मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर काफी गर्मा-गर्म बहस हुई। जिसकी चर्चा कांग्रेसी नेताओं में आम है। पिछली यूपीए सरकार के एक वरिष्ठï मंत्री इस बात पर नाराज हैं कि उनका विभाग उनको दे दिया गया जो पिछली बार राज्य मंत्री थे। इन मंत्री महाशय का यह दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान उस विभाग को राष्टï्रीय से अंतर्राष्टï्रीय स्तर का बना दिया था। जबकि विभाग के मौजूदा मंत्री राजनीति में भी उनसे कम अनुभव वाले हैं। हाल ही में एक अंग्रेजी पत्रिका द्वारा मंत्रीजी के पुराने विभाग में हुये एक घोटाले का पर्दाफाश किया गया, जिसे लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा मचाया। इस बात से कैबिनेट मंत्री जी खासे नाराज हो गये, उन्होंने यह भी पता लगा लिया पत्रिका को यह खबर लीक किसने की। मंत्री जी के करीबी लोगों ने इसका ठीकरा उनके पुराने विभाग के मौजूदा मंत्री के सिर फोड़ दिया। इसके बाद तेज-तर्रार मंत्री जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। फिर क्या था पुराने व नये मंत्री जी के बीच खूब कहा-सुनी हो गयी। इस तरह का मामला सिर्फ इन मंत्रियों तक ही सीमित नहीं है, इनके अलावा भी कई ऐसे मंत्री हैं, जो अपने विभागों को लेकर ज्यादा खुश नहीं हैं और अपने दबदबे का पूरा प्रयोग कर विभाग को बदलवाने की जोर-आजमाईश कर रहे हैं। कर्ई ऐसे भी कांग्रेसी मंत्री हैं, जो एक ही राज्य से आते हैं और एक ही विभाग में कैबिनेट व राज्य मंत्री बने हैं, ये नेता राज्य स्तर पर एक दूसरे के धुर-विरोधी हैं और केन्द्र में इनकी स्थिति ऐसी बनी कि साथ रहना ही पड़ता है। पर जैसे-जैसे गर्मी का पारा बढ़ता जाता है, इनके बीच तकरार व अनबन का माहौल भी गरम होने लगता है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं अपने मंत्रियों के इस कारनामे से बेहद क्षुब्ध हैं। लेकिन क्या करें, सत्ता है तो मंत्री हैं और मंत्री हैं तो दबदबा बनाना इनका काम है।
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Saturday, January 9, 2010
सभ्यता की पोल
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Friday, January 8, 2010
Thursday, January 7, 2010
स्वायत्तता पर हल्ला बोल
Posted by सुभाष चन्द्र at 2:24 PM 0 comments
Labels: जम्मू-कश्मीर, स्वायत्तता
Monday, January 4, 2010
मंत्रियों के बोल, गोल मोल
आमतौर पर यही माना जाता है कि मंत्री जी ने जो कह दिया वही सत्य है। क्योंकि सरकार के काम-काज का जवाब उनके बयानों से ही मिलता है। मगर यूपीए सरकार के कुछ मंत्री ऐसे भी हैं, जो बयान तो दे रहे हैं, पर शायद उन्हें पता नहीं होता कि वे सच कह रहे हैं या गलत। इसका कुछ नजारा यहां देखा जा सकता है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में कुछ ऐसे नेता, मंत्री भी हैं, जो अपने मंत्रालय की बाबत की कुछ ऐसे बयान दे देते हैं, जो सत्य से परे ही नहीं सत्य के पार भी होता है। इन मंत्रियों में रेल मंत्री ममता बनर्जी जैसी खास सख्सियत वाली नेता ही नहीं, सचिन पायलट जैसे नौजवान पीढ़ी के नेता भी शामिल हैं। बुर्जग और अनुभव नेता के बिना यह मामला पूरा नहीं होता, सो हिमाचल के तपे-तपाये नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गये। वीरभद्र सिंह इस्पात मंत्री बयान- लौह अयस्क पर के निर्यात पर सरकार पाबंदी लगा सकती है। सच्चाई- निर्यात के लिये कंपनियों से लंबी अवधि की डील होती है, उसका क्या होगा? वर्तमान में इस्पात मंत्री बने वीरभद्र सिंह ने इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम में कहा कि लौह अयस्क निर्यात पर पाबंदी लग सकती है। उनके अनुसार ऐसा इसलिये संभव है क्योंकि आने वाले दो सालों में देश में स्टील का उत्पादन 10 करोड़ टन प्राति वर्ष का हो जायेगा, ऐसे में घरेलू बाजार की मांग को पूरा करने के लिये हमें लौह अयस्क पर प्रतिबंध लगाना चाहिये। एक बारगी तो यह बयान सही लगता है, पर ऐसा करना क्या संभव है? यह बात मंत्री जी ने या तो नजरअंदाज कर दी, या इसे समझ ही नहीं पाये। जबकि असली कहानी यह है कि यह मांग बहुत पुरानी है। देश में करीब 20 टन करोड़ लौह अयस्क का उत्पादन होता है। जिसमें से लगभग 10 करोड़ टन का वित्त वर्ष 2008-09 में निर्यात किया गया। इसके साथ ही इस्पात मंत्रालय के आकड़े यह तस्वीर दिखाते हैं कि देश में लौह अयस्क के आपूर्ति की समस्या नहीं होने वाली है। इसके अलावा निर्यात के लिये कंपनियों के साथ लंबी अवधि का समझौता होता है। उसे कोई भी सरकार कैसे नजरअंदाज कर सकती है? सचिन पायलट दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री बयान- वाईमैक्स पद्धति से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में ब्राडबैंड सेवा पहुंचाना मुश्किल है। इसके लिये 3जी चाहिये। सच्चाई- वाईमैक्स तकनीक की मदद से ब्राडबैंड सेवा देश के कोने-कोने तक पहुंचायी जा सकती है। इसके लिये 3 जी की विशेष आवश्यकता नहीं है। नौजवान नेता व राहुल गांधी युवा ब्रिगेड के सिपहसालार सचिन पायलट की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। सचिन वर्तमान में दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। इसलिये इनकी कही एक-एक बात का गहरा अर्थ निकाला जाता है। लेकिन शायद सचिन जी भी जुदा बयानबाजी की राह पर चल पड़े हैं। हुआ यूं कि एक दिन पत्रकारों के साथ प्रेसवार्ता में वे बोले कि वाईमैक्स तकनीकी से गांवों व दूर-दराज के इलाकों में ब्राडबैंड सेवा पहुंचाना मुश्किल है। इसलिये गांवों में ब्राडबैंड पहुंचाने के लिये 3जी का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जबकि हकीकत यह है कि वाईमैक्स ऐसी तकनीक है, जिससे ब्राडबैंड को देश के किसी भी कोने में आसानी से पहुंचाया जा सकता है। शायद मंत्रीजी को सच्चाई पता नहीं थी, या 3जी का इतना इस्तेमाल करने लगे हैं कि हर वक्त जुबान पर बस यही छाया रहता है। खैर जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि मंत्रियों के बोल कितने निराले होते जा रहे हैं। ममता बनर्जी रेल मंत्री बयान- तूरंतो भारतीय रेल इतिहास की पहली नॉनस्टॉप ट्रेन होगी। सच्चाई- संपूर्ण क्रांति व श्रमशक्ति पहले सेे ही नॉनस्टॉप ट्रेनें हैं, जो चल रही हैं। इस कड़ी में तीसरा व सबसे कद्ïदावर नाम दूसरी बार रेलमंत्री बनीं ममता बनर्जी का जुड़ गया है। इस साल के रेल बजट से चारों ओर से प्रसंशा की पात्र बनीं ममता जी ने रेल बजट के दौरान कुछ ऐसी जानकारियां दी, जो सच्चाई से कोसों दूर हैं। उनके बजट भाषण में पेज संख्या 24 पर नॉनस्टाप ट्रेन तूरंतो चलाने की बात कही गयी है और आगे लिखा है कि यह भारतीय रेल इतिहास की पहली नॉनस्टाप ट्रेन होगी। पर शायद उन्हें याद नहीं है कि पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार ने पटना और नईदिल्ली के बीच नॉनस्टाप ट्रेन शुरु की थी, जो आज भी चल रही है। बीच के स्टेशनों पर इसका कर्मशियल स्टापेज नहीं है। इसी तरह दिल्ली से कानपुर के बीच भी श्रमशक्ति नामक नॉनस्टाप ट्रेन चलती है। इस ट्रेन का कर्मशियल तो दूर ऑपरेशनल स्टॉपेज भी नहीं है। बात यही थम जाती तो ठीक थी, पर पेज संख्या 22 पर प्रेस संवाददाताओं को रियायतें शीर्षक से लिखा गया है कि रियायत को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जायेगा। जबकि सच्चाई यह है कि राजधानी व शताब्दी को छोड़कर अन्य सभी ट्रेनों में पत्रकारों को पहले से ही 50 प्रातिशत रियायत जारी है। अब ममता जी किसे क्या देना चाहती हैं ये तो वहीं जान सकती है। हां पर यह बात जरुर है कि अपनी जानकारियों हमें यह जानकारी तो दे ही दी है कि उनकी जानकारी कितनी है। गुलाम नवी आजाद स्वास्थ्य मंत्री बयान- लोगों के घर में टीवी होगा तो जनसंख्या कम बढ़ेगी। सच्चाई- ऐसा कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं है, जिससे इनकी बात साबित हो सके। अपने नये-नये स्वास्थ्य मंत्री तो भाई गजब के हैं और इनकी बातें तो माशाअल्ला और भी गजब की होती हैं। अभी कुछ दिन पहले ही आजाद जी ने बयान दिया कि भारत में जनसंख्या बढऩे का एक कारण यह भी है कि लोगों के पास टेलीविजन नहीं है। इसके पीछे इनका तर्क यह था कि जब लोगों के पास टेलीविजन होगा, तब लोग देर रात तक टीवी कार्यक्रमों में व्यस्त रहेंगे और फिर थक कर सो जायेंगे। इससे जनसंख्या नहीं बढ़ेगी, मसलन मियां-बीबी टीवी में व्यस्त होकर सो जायेंगे और आपस में संबंध कम बना पायेंगे, जिससे तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाया जा सकता है। कुछ हद तक इनकी बात में दम हो सकता है, मगर ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे यह साबित हो सके टीवी वाले घरों की जनसंख्या कम होती है। चलिये इनके कहे लोग टीवी ले भी आयें तो इसे चलाने के लिये बिजली कौन देगा? मेट्रो शहरों की चकाचौंध में रहने वाले नेताजी शायद यह भूल रहे हैं कि आधी से ज्यादा आबादी वाले हमारे गांवों में 24 घंटे में से बमुश्किल 4 घंटे ही बिजली नसीब हो पाती है। यदि बिजली गुल हो गयी तो कभी-कभी महीनों इसके दर्शन नहीं होते। कुछ इलाके तो आज भी ऐसे हैं जहां बिजली तो दूर बिजली के खंभे और तार भी सरकारी भ्रष्टïाचार का शिकार हो गये हैं और आजतक नहीं लग पाये। ऐसे में मंत्रीजी के बयान का कोई अर्थ नहीं रह जाता। खैर यह तो सरकार है और सरकार का कहा भला कौन टाल सकता है? मनोज द्विवेदी manragini.blogspot.com
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Saturday, January 2, 2010
आगे क्या होगा रामा ...
Posted by सुभाष चन्द्र at 2:26 PM 0 comments
Labels: क्षेत्रीय अस्मिता, जनादेश, झारखंड