Thursday, February 18, 2010

प्रकृति का अनूठा प्रांगण बस्तर

जब चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आए, हर तरफ उफनती नदियों की कलकल हो, खुले नीले आसमान के नीचे शोर मचाते झरने अपने पूरे उन्माद पर हो, तो वह स्थल सिर्फ और सिर्फ छत्तीसगढ का खूबसूरत स्वर्ग, बस्तर ही हो सकता है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता सजीव रूप देखने का आंकाक्षा हो तो एक बार बस्तर से रूबरू होना लाजमी है क्योंकि यहाँ न सिर्फ प्रकृति अपनी संपूर्ण अठखेलियों के साथ देखी जा सकती है बल्कि यहाँ के आदिवासियों का भोलापन भी लोगों का मन मोह लेगा। तो अगर आप शहरों की भागदौड से आजिज आ चुके हैं तो निःसंदेह आपको बस्तर का हर कोना पसंद आएगा क्या देखें बस्तर का हर कोना अपनी अलग खूबसूरती से महकता है। यहाँ के पेड और हरियाली यहाँ के जंगलों में रहने वाले आदिवासी, उनका हाट (लोकल मार्केट) सबकुछ मनोहारी है। इसके अलावा कुछ ऐसे स्थल भी हैं जो शायद कहीं और देखने को न मिलें। जलप्रपात चित्रकोट जलप्रपात य्ाह स्थान बस्तर के मुख्या जलदलपुर से 38 किमी है। इसे मिनी नियाग्रा भी कहा जाता है। इन्द्रावती नदी द्वारा बनाया गया यह बारिश में तो अपनी संपूर्ण कलाओं के साथ अठखेलियाँ करता ही है साथ ही गर्मियों भी इसकी छटा देखते ही बनती है। तीरथगढ जलप्रपात अगर कोई नदी पूरे वेग से 300 फीट की उंचाई से नीचे गिरे तो नजारा कैसा होगा य्ाह सोच कर ही मन रोमांच से भर जाता है। तीरथगढ का नजारा कुछ ऐसा ही है। यह छत्तीसगढ का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। य्ाह जगदलपुर से 35 किमी दक्षिण में पडता है। इसके अलावा मंडवा और चित्रशारा जलप्रपात भी देखा जा सकता है। गुफाएं कोटमसर गुफाएं यह न तो ऐतिहासिक गुफाएं हैं और न ही आपको यहाँ कोई आदिमकाल की चित्र्ाकारी ही देखने को मिलेगी। यहाँ प्रकृति ने स्वंम के लिए चित्रकारी की है जिसका लुत्फ आप भी उठा सकते हैं। तीरथगढ के पास कांगेर वेली नेशनल पार्क में चूने के पत्थर काच कर पानी द्वारा निर्मित ये गुफा किसी को भी अचंभित कर सकती है। 40 फीट लंबी यह गुफा रोशनीविहीन है अतः yahan प्रकृति एक और करामात अंधी मछलियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा कैलाश गुफा और दण्डक गुफाएं भी देखने लाय्ाक हैं। नेशनल पार्क एवं सेंचुरीस अगर आप जंगल में रोमांच ढूढते हैं तो भी आपको बस्तर अवश्य आएगा जंगल को करीब से देखने का इससे बेहतर विकल्प आपको दूसरा नहीं मिल सकता। यहाँ अगर कांगेर वेली और इन्द्रावती जैसे नेशनल हैं तो भैरमगढ पमेडा और विरगिन कुर्चेल वेली जैसी सेंचुरीज भी हैं जहां आप प्रकृति का भरपूर आनंद ले सकते हैं। कैसे जाएं वैसे तो बस्तर जाने के कई मार्ग हैं पर छत्तीसगढ की राजधानी राय्ापुर से य्ाहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। बस्तर के लिए ट्रेन नहीं चलती अतः सडक मार्ग ही य्ाहां पहुंचने का एकमात्र्ा सहारा है। हां अगर आप विशाखापट्टनम होकर आ रहे हैं तो ट्रेन से यहाँ आया जा सकता है। वैसे छत्तीसगढ पर्यटन विभाग के पास य्ाहां के लिए पैकेज टूर का भी आप्शन है तो आप इसे भी आजमा सकते हैं। कहां ठहरें बस्तर के मुख्या शहर जगदलपुर को बेस बना आप पूरा बस्तर आसानी से घूम सकते हैं। य्ाहां छत्तीसगढ पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस और कई निजी होटल काफी कम दाम पर उपलब्ध हैं। क्या खरीदें बस्तर के हाट से आप लोकल वस्तुएं जैसे बांस से बने सामान आदि खरीद सकते हैं। इसके अलावा ब्रांज मेटल की कलात्मक वस्तुएं, कोसा सिल्क क् कपडे और साड़ियाँ, लकडी का सामान, ये सभी यहाँ विशेषता है, खरीदा जा सकता है। कब जाएं वैसे तो बस्तर हर मौसम में जाया जा सकता है पर अक्टूबर नवंबर में यहाँ जाने पर यहाँ के विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे का आनंद लिया जा सकता है।

2 Comments:

Anonymous said...

neelam ji aapne baster k bare mein achchha likha hai. mai aapka blog niymit padhta hun. comment bhi deta hun.magar is baar phir aapse shiqayat hai. aapne baster k us pahloo per kuchh nhi likha jiske liye wah cheenha jata hai.wahan k aadivasiyon ki leela bhi likhni chahiye. anyway agli kari mein phir kabhi likhiyega

brahma said...

neelam ji...chhattisgarh ke liye aapka prayass behtar hain.wese aap likhtee bahut achhaa hain..jaari rahiyee
shubhkamnayen
brahmaveer singh
raipur

नीलम