Tuesday, July 6, 2010

पादरी बनना हो तो पसर्नल जबाव दें...

धार्मिक कुर्सी पर बैठे लोगों का चरित्र जब संदेहास्पद हो जाता है तो उनकी जगह दूसरों को आने में कठिनाई आती हो। ऐसा ही मामला नए पादरी को बनने में आ रही है, जहां उन्हें नितांत व्यक्तिगत सवालों के जबाव देने पड़ रहे हैं। ईसाई धर्म में पादरियों को कैसा सम्मान प्राप्त है, कहने की आवश्यकता नहीं है। पादरी बनना अपने आप में एक गौरव का विषय है। लेकिन पिछले कुछ समय से पादरी के चाल-चरित्र के कारण लोग पादरियों को संदेह की नजरों से देखने लगे तो कई चर्च पर कालिख लगी। लिहाजा, खोई गरिमा को फिर से पाने के लिए और अपने नैसर्गिक महत्व को बरकरार रखने के लिए चर्च प्रसाशसन पादरियों की नियुक्ति में कोई हिल-हवाला नहीं रखना चाहता। सो, नितांत व्यक्तिगत सवालों के जबाव सुनकर भी संतुष्टï होना चाहता है।
अमूमन हर साक्षात्कार में कोई न कोई ऐसा सवाल जरूर होता है, जो अभ्यर्थी को को परेशान करता है। पर रोमन कैथलिक चर्च में पादरी बनने के इच्छुक अभ्यर्थी से साक्षात्कार में कुछ ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं, जिससे उनके दिमाग के तार हिल जा रहे हैं। अभ्यर्थी को एक फॉर्म दिया जा रहा है, जिसमें कुछ इस तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। पिछली बार कब आपने सेक्स किया था? अभी तक आपको सेक्स का कैसा अनुभव रहा है? क्या आप पॉरनॉग्रफ़ी पसंद करते हैं? इन सवालों के मनमाफिक जवाब मिलने के बाद अगले राउंड में अभ्यर्थी से कुछ और पर्सनल और कठिन सवाल पूछे जा रहे हैं। अब इन सवालों की बानगी देखिए- क्या आप बच्चों को पसंद करते हैं? क्या आप अपनी उम्र के लोगों की तुलना में बच्चों को ज्यादा पसंद करते हैं?
दरअसल, पिछले दिनों पादरियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण के कई मामले आने के बाद चर्च नेता ऐसे कदम उठा रहे हैं ताकि वे लोग पादरी न बन पाएं, जो बाद में चर्च की छवि खराब कर दें। इसी बात को ध्यान में रखकर पादरी बनने के इच्छुक अभ्यर्थी से ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं। पर बहुत से सवाल ऐसे जिनसे कुछ और चीजों का निर्धारण किया जा रहा है। इनसे यह पता किया जा रहा है कि अभ्यर्थी गे है या नहीं। वेटिकन के गाइडलाइंस के मुताबिक गे अभ्यर्थी को पादरी बनने से रोका जाना चाहिए। हालांकि यहां पर ऐसी कोई सीमा रेखा नहीं है, पर ज्यादातर गे कैंडिडेट्स को सलेक्ट नहीं किया जा रहा है। कुछ तो गे कैंडिडेट्स तो ऐसे हैं , जो अब तक कुंवारे हैं, पर उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा है।
दरअसल, 2002 में यौन शोषण का बवाल होने के बाद से ही चर्चों की यह पहली कोशिश रहती है कि किसी भी तरीके से कोई गे कैंडिडेट्स पादरी नहीं बन सके। इस इंटरव्यू में यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि आप अपने यौन इच्छाओं को काबू में कैसे रख पाएंगे, इस बारे में आपकी रणनीति क्या है? इन सवालों से यह साफ है कि पिछले कुछ सालों में पादरियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण मामलों से हुए बदनामी के बाद चर्च अब सावधान हो गए हैं और पादरियों के चयन में वह कोई ढील देने के लिए तैयार नहीं है, ताकि आगे से ऐसी बदनामी न हो।
गौरतलब यह भी है कि पोप जॉन पॉल-2 ने भी 2003 में ऐलान किया कि जहां तक धार्मिक जीवन या प्रीस्टहुड में उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं। 50 और 60 के दशकों में कैथलिक बिशप्स, पादरियों द्वारा यौन शोषण को आध्यात्मिक समस्या मानते थे। ऐसी समस्या जिसका समाधान भी आध्यात्मिक ही होता था। आध्यात्मिक समाधान यानी प्रार्थना। 60 के दशक से ही डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक बिशप्स ने इस बारे में अपना नजरिया बदलना शुरू कर दिया। इस दृष्टिकोण के मुताबिक जिन पादरियों ने बच्चों का यौन शोषण किया है, सही मनोवैज्ञानिक उपचार पाने के बाद वे ठीक हो जाते हैं और उन्हें फिर से धर्म सेवा में ले लिये जाने में कोई नुकसान नहीं है।

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नीलम