लाखों प्रवासी भारतीयों (एनआरआई)को मतदान का अधिकार देने की लंबित मांग जल्द पूरी हो सकती है। जीओएम ने इस मुद्दे पर तैयार मसौदे को मंजूरी दे दी है। अब केंद्रीय कैबिनेट इस पर विचार करेगी। प्रवासी भारतीयों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी से दोतरफा संवाद को बढ़ावा मिलेगा और भारत के विकास में उनकी सक्रिय भागीदारी में सहयोग मिलेगा। इस साल प्रवासी भारतीय दिवस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि वह विदेशों में रह रहे भारतीयों की वोट देने और भारत सरकार में भागीदारी की इच्छा को जानते हैं और इसके लिए उनकी सरकार हर संभव प्रयास भी कर रही है। उनके इसी तथ्य को अमली जामा पहनाने का लगभग पूरा हो गया है जिसके तहत जल्द ही अप्रवासी भारतीयों को भारत में वोट करने का अधिकार मिल जाएगा। वर्तमान कानून के मुताबिक प्रवासी भारतीयों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाता है अगर वह एक बार में 6 महीने से ज्यादा के लिए देश से बाहर रहता है। गौरतलब है कि सरकार ने 2006 में राज्यसभा में विधेयक को पेश किया था, जिसमें लोक प्रतिनिधित्व विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया था, ताकि प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार दिया जा सके। इसके बाद विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजा गया और बाद में इसे जीओएम को भेजा गया था। इस मामले पर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंत्री समूह का गठन किया था। इसकी बैठक 10 जून को ए.के. एंटनी की अध्यक्षता में हुई थी। इसमें रवि, गृहमंत्री पी. चिदंबरम, विधि मंत्री वीरप्पा मोइली और मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल मौजूद थे। प्रवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा करीब 4 साल पहले तैयार मसौदा लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन)विधेयक को रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की अध्यक्षता वाले जीओएम ने मंजूरी दे दी। इसे जल्द ही इसे कैबिनेट के सामने पेश किए जाने की संभावना है। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि ने कहा कि रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाले जीओएम ने विधेयक को मंजूरी दे दी है। हम इसे कैबिनेट के सामने पेश करने वाले हैं और इसके बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा। राज्यसभा सदस्य रवि ने कहा कि प्रवासी भारतीयों को मताधिकार प्रदान करने संबंधी विधेयक संसद के मानसून सत्र में पारित होने की संभावना है। यह संसद के अगले सत्र में पारित हो जाएगा। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि ने कहा कि प्रवासी भारतीय डाक के जरिए वोट नहीं दे सकेंगे। डाक के जरिए मतपत्र भेजने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि इसमें जाली मतदान की आशंका रहती है। इसलिए वोट डालने के लिए उन्हें देश में सशरीर मौजूद रहना होगा। देश के बाहर, खासकर खाड़ी मुल्कों में लाखों की संख्या में रहने वाले भारतीयों को मताधिकार देने की मांग उठ रही थी, स्वाभाविक तौर पर यह उचित मांग है। लेकिन कठिनाई उनके नाम तलाशने में होगी, क्योंकि छह महीने से अधिक समय तक देश से बाहर रहने पर मतदाता सूची से उनका नाम हटा दिया जाता है।
Friday, June 25, 2010
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1 Comment:
achchha aalekh hai. bahut kam logon ko is bare me pata hai
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