भले ही महंगाई को लेकर समूचा विपक्ष सड़क पर है, लेकिन संसद के भीतर पक्ष और विपक्ष में एका है। आखिर, मामला सांसदों के वेत्तन-भत्ते की बढ़ोत्तरी का जो है जो देश की महगाई के साथ दिन दूनी और रात चोगुनी गति से बढ रहा है एक रुपये में दो कप चाय या कॉफी। मसाला डोसा दो रुपये में। एक रुपये में मिल्क शेक, शाकाहारी भोजन मात्र 11 रुपये में और शाही मांसाहारी भोजन मात्र 36 रुपये में। आप सोच रहे होंगे कि यह किस जमाने की बात हो रही है। सच मानिए यह आज की बात है। हमारे सांसदों को यह सुविधा हमारी सरकार संसद के अंदर दे रही है। संसद की कैैंटीन का यही मीनू कार्ड है सब कुछ तो मुफ्त है सांसदों पर हर महीने 21 करोड़ 14 लाख, 70 हजार रुपये खर्च किया जाता है। इसमें से करीब 14 हजार रुपये तो ऑफिस का ही खर्च है। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र के लिए मासिक भत्ता 10 हजार मिलता है। संसद के तीन सत्र होते हैं और प्रत्येक सत्र के लिए इन्हें दैनिक भत्ते के तौर पर 1000 रुपये मिलते हैं। हर सांसद और उनके पति या पत्नी को रेलवे की तरफ से मुफ्त एसी-1 की सुविधा भी उपलब्ध है। पति या पत्नी के साथ बिजनेस क्लास में देश में कहीं भी 40 हवाई यात्राएं मुफ्त हैं। इन्हें दिल्ली में बंगला या फ्लैट दिया जाता है, जिसका किराया मात्र दो हजार रुपये होता है। पचास हजार यूनिट बिजली मुफ्त और साथ में पानी फ्री। बंगलों में एसी, फ्रिज, टीवी की सुविधा के साथ-साथ सोफा की सफाई, पर्दों की धुलाई मुफ्त की जाती है। सांसदों को तीन फोन लाइनों की पात्रता है और हर साल 170,000 लोकल कॉल फ्री हैं। 25 से भी अधिक बार बढ़ चुका है वेतन संवैधानिक तौर पर भारतीय संसद का गठन 1952 में हुआ। उसके दो साल बाद 1954 में सांसदों का वेतन-भत्ता कानून बना। उसके बाद से करीब 25 बार से भी अधिक सांसदों के वेतन-भत्ते और अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी हो चुकी है। सांसद वेतन वृद्धि मामले में विदेशी सांसदों को मिलने वाले वेतन एवं अन्य भत्तों का तर्क देते हैं, लेकिन यह बात भूल जाते हैं कि अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस सहित यूरोप तथा अन्य विकसित देशों के जनजीवन और भारतीय जनजीवन में कितना अंतर है। भारत में आज भी 84 करोड़ लोग मात्र 20 रुपये प्रतिदिन पर गुजारा करते हैं और एक-तिहाई जनता कुपोषण का शिकार है। अब 3जी का भी मजा लेंगे लोकसभा सचिवालय का कहना है कि सांसदों के वेतन भत्ते पर विचार के लिए गठित संयुक्त समिति ने उन्हें 3-जी सुविधा देने के मुद्दे पर विचार किया है। वर्तमान में सदस्यों के लिए सालाना 50,000 मुफ्त कॉल की सुविधा है। 3-जी पैकेज पर और इस सुविधा के अतिरिक्तइस्तेमाल पर आने वाला खर्च इसी मुफ्त कॉल में समायोजित किया जाएगा। लोकसभा सचिवालय के अनुसार, एमटीएनएल, बीएसएनएल द्वारा दी जा रही नई सुविधा सदस्यों के लिए वैकल्पिक होगी। सदस्यों को 3-जी सुविधा पर काम करने वाले हैंडसेट का खर्च खुद वहन करना होगा।
Wednesday, July 21, 2010
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2 Comments:
...शानदार पोस्ट!!!
'kahn hai manhgaai'pdha. tumne to sansadon ka kurta hi utaar liya hai. bahut achha laga unhe aaina dikhana. aur tumhara vikas bhi.
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