Thursday, January 6, 2011

गहलोत को गुर्जर न भाए

आराम से दिन कट रहे थे अशोक गहलोत के। दिल्लीवाले उन्हें परेशान नहीं कर रहे थे। काफी दिनों तक दिल्ली में जो अपनी सेवाएं दी है गहलोत ने। लेकिन अपने ही प्रदेश के गुर्जरों ने नाक में दम कर दिया है। गुर्जर आंदोलनकारियों से सीधे टकराव के मूड में नहीं है गहलोत। अभी तक आंदोलन हिंसा से अछूता है। लेकिन इसके कारण सूबे सहित देश का जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। गहलोत आंदोलनकारियों को गांधीवादी अंदाज में समझा भी रहे हैं कि यह भरोसा पाले हैं कि उनकी बात को देर-सवेर मान लेंगे गुर्जर। तभी तो कुछ भरोसेमंद अफसरों को भी लगा दिया है। कई दौर की बातें भी गुर्जर नेता बैंसला से बात हो चुकी है। गृहमंत्री शांति धारीवाला ने शुरू से ही गुर्जरों के आंदोलन पर पैनी नजर टिकाई हुई है। गुर्जर नेता होने के नाते प्रदेश के बिजली मंत्री जितेंद्र सिंह को भी गहलोत भेज चुके हैं। लेकिन, गुर्जर हैं कि मानने को तैयार नहीं। इस आंदोलन ने सूबे के कारोबार को चौपट कर दिया है। प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों कामकाज बंद है। रेलवे को करोड़ों की नुकसान हो रही है, सो अलग। आखिर, आज नहीं तो कल इस आंदोलन का ठीकरा तो गहलोत के ही सिर फूटेगा न...

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नीलम