Saturday, October 9, 2010

विकास पर जाति-परिवार का छौंका

बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार हो रहा है कि जाति के ठेकेदार पर विकास कार्य हावी है। हर कोई बड़ा नेता और राजनीतिक दल विकास की बात कर रहे हैं। जदयू-भाजपा गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री नीतिश कुमार अपने शासनकाल में हुए विकास कार्यों के बल पर आगे भी विकास कार्य करने का आश्वासन दे रहे हैं तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद रेलमंत्री के अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों का ब्यौरा दे रहे हैं। लोजपा अध्यक्ष भी अपने केंद्रीय मंत्रालयों के कार्यों की समीक्षा कर, जनता को समझाने की कोशिश कर रह हैं। चूंकि कांग्रेस के पास बिहार में इस कद का नेता नहीं है जो नीतिश-लालू-पासवान के मुकाबले खड़ा हो।
जानकारों की रायशुमारी में राज्य में चुनाव के त्रिकोणीय होने की संभावना है, जहां सत्ताधारी जद यू और भाजपा का गठबंधन जारी है, जबकि इस गठबंधन को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए राजद के लालू प्रसाद ने लोजपा के रामविलास पासवान से हाथ मिलाया है। कांग्रेस ने राज्य में अकेले दम पर चुनाव लडऩे का फैसला किया है, जबकि पूर्व में वह राजद की कनिष्ठ सहयोगी की भूमिका में रहती थी। अंतिम क्षणों में रूकावटों को दूर करते हुए राजद और लोजपा के बीच गठजोड़ हुआ और यह तय किया गया कि राजद 168 सीटों पर और लोजपा 75 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी। काबिलेगौर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि वह पहले ही विधान परिषद के सदस्य हैं। राजद-लोजपा गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालू प्रसाद भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस ने किसी को मुख्यमंत्री के रूप में पेश नहीं किया है।
बेशक, विकास की बात हो रही है और नीतिश-लालू स्वयं चुनाव नहीं लड़कर नजीर पेश करना चाहते हैं, लेकिन उम्मीदवारों के चयन में उसकी जाति और परिवार पर विशेष गौर फरमाया गया। इसी का नतीजा है कि जदयू में भी रोष है और राजद में भी। कांग्रेस में तो यह सर्वव्यापी हो गया। राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा तो टिकट में जाति-परिवार को लेकर खासे नाराज हो चले हैं। कुशवाहा का कहना है कि पार्टी में तमाशा हो रहा है। जो संकल्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता हैं, उनको दरकिनार किया जा रहा है। उन लोगों को टिकट से वंचित किया जा रहा है जो नीतीश सरकार को बचाये रखने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। जदयू में यह असंतोष सिर्फ कुशवाहा के मन में ही नहीं है। असंतोष की यह चिंगारी गोपालगंज के सांसद पूर्णमासी राम के मन में भी है। उनका भी वही आरोप है जो कुशवाहा का है। जदयू की नीतियों के खिलाफ पार्टी के वरीय नेता और मुंगेर से सांसद ललन सिंह ने कांग्रेस पार्टी का प्रचार करना शुरू कर दिय़ा है। मुजफ्फरपुर के सांसद कैप्टन (रिटायर्ड) जय नारायण निषाद टिकट बंटवारे में भेदभाव के चलते पार्टी आलाकमान से बगावत पर उतारू दिख रहे हैं। यही हाल बेगूसराय के सांसद मुनाजिर हसन का भी है। वह भी खुश नहीं हैं।
राजद ने जब से लोजपा के संग हाथ मिलाया है, उसके कई नेता कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। अपने जीजा लालू प्रसाद का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले पूर्व सांसद साधु यादव ने अब अपने समर्थकों को टिकट न मिलने पर बगावत कर दी है, तो टिकट मिलने के बावजूद लवली आनंद ने भी बगावती तेवर अख्तियार कर लिये हैं। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से जारी की गई उम्मीदवारों की पहली सूची में अपने समर्थकों की अनदेखी किए जाने से साधु नाराज हैं। साधु ने राज्य में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया है। साधु ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर टिकट बंटवारे में धांधली का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कांग्रेस में जो लोग टिकट बांटने का कार्य कर रहे हैं, वे ऐसे लोगों को टिकट दे रहे हैं जिनका हारना तय है। दूसरे दल के सांसदों द्वारा भेजे गए नामों पर विचार किया जा रहा है, जबकि अच्छे और कर्मठ कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दी जा रही है। दूसरी ओर हत्या के मामले में बीते तीन वर्षों से जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी अपने समर्थकों को टिकट न दिए जाने से नाराज हैं। कांग्रेस ने लवली को मधेपुरा के आलमनगर सीट से उम्मीदवार बनाया है। गौरतलब है कि करीब 20 वर्षों के बाद राज्य में कांग्रेस ने विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा की है।
दूसरी ओर, इस बार विधानसभा चुनाव में कई राजनेताओं के पुत्रों के लिए भी संभावना का द्वार खोल रहा है। छह चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव लोजपा और राजद के 'युवराजÓ इसमें अपनी राजनीतिक विरासत संभालने की ओर कदम बढ़ाएंगे। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद अपने पुत्र और क्रिकेट खिलाड़ी तेजस्वी यादव को राजनीति के मैदान में उतारने की घोषणा कर चुके हैं। वैसे तेजस्वी का कहना है कि अभी वह राजनीति की 'एबीसीÓ सीखेंगे। उधर, लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान के पुत्र एवं फिल्म अभिनेता चिराग विधानसभा चुनाव में भी लोजपा का प्रचार करेंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में भी चिराग ने लोजपा के लिए प्रचार किया था, परंतु उस चुनाव में लोजपा को बिहार से एक भी सीट नहीं मिली थी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दोनों नेता अपने पुत्रों को राजनीतिक विरासत सौंपने की तैयारी आरंभ कर चुके हैं। तेजस्वी के राजनीति में आने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले तो कुछ नहीं बोले परंतु बार-बार पूछने पर उन्होंने बस इतना कहा कि हम लोगों को बिहार की चिंता है और किसी को अपने परिवार की चिंता लगी हुई है। विधानसभा चुनाव में राजद के सांसद एवं लालू प्रसाद के करीबी माने जाने वाले जगदानन्द सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह ने भी राजद को त्याग कर भाजपा का दामन थाम लिया है तो राजद के पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के पुत्र सरफराज भी अपने पिता की तरह जदयू से जुड़ गए हैं।

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नीलम