Tuesday, August 10, 2010

नज़र मछली की आंख पर

राष्ट्रमंडल खेलों में हुे घोटालों और अधूरी तैयारियों को लेकर चर्चा का बाज़ार काफी समय से गर्मा रहा है पर इस बीच मीडिया और आम लोग उन खिलाडिय़ो को भूल ही गए जिनके कंधों पर पदक लाने की जिम्मेदारी है। खेल अब मात्र कुछ दिनों ही दूर हैं। ऐसे में जानते है उन खिलाडिय़ों और खेलों की तैयारियों की पड़ताल जिनके पदक लाने की संभावना प्रबल है। अब वह दिन लद गए जब भारतीय खिलाडिय़ों के लिए खेल में अच्छे प्रदर्शन का उद्देश्य मात्र रेलवे, सेना, बैंक या किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में नौकरी पाना ही था। पिछले एक दशक में खिलाडिय़ों की इस मानसिकता में जबरदस्त बदलाव आया है। आज उनके लिए खेल नौकरी पाने का सबब कम और देश के लिए पदक जीतने का सबब ज्यादा बन गया है। अभिनव बिन्द्रा, सुशील कुमार और विजेन्दर सिंह को पिछले ओलंपिक में मिली सफलता के चलते इस बार खिलाडिय़ों में दोगुना उत्साह है और यह उत्साह उनकी तैयारी में भी दिखता है। राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के तहत 18 खेलों के 1126 खिलाडिय़ों को देश विदेश के 192 कोच प्रशिक्षण दे रहे है। इस शिविर में राष्ट्रमंडल खेलों की सभी स्पर्धाओं में पदक जीतने की उम्मीद वाले संभावित खिलाडिय़ों की देश और विदेश में ट्रेनिंग का पूरा खर्च सरकार उठा रही है। किन खेलों के खिलाड़ी पदक ला सकते हैं आइये डालते हैं नज़र पदक जीतने की संभावनाओं पर- शूटिंग इस खेल में भारत ने पिछले कुछ सालों में जो कमाल किया है उसी की बदौलत यह खेल पदक बटोरने में मददगार हो सकता है। कोच मार्सेलो ड्रादी, जंग शाह और सनी थॉमस की निगरानी में निशानेबाज कठिन मेहनत कर रहे हैं। खिलाडिय़ों का यह कड़ा अभ्यास और मेहनत इस खेल के जरिए कम से कम 27 पदक लाने के लिए है। अभिनव बिंद्रा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, समरेश जंग, गगन नारंग, रोजंन सोढ़ी, अंजलि भागवत जैसे अनुभवी खिलाडिय़ों के अलावा कई नए खिलाड़ी भी हैं जिनसे पदक की उम्मीद की जा रही है। कुश्ती पिछले ओलंपिक में विजेन्दर सिंह और सुशील कुमार ने रजत और कांस्य पदक जीतकर इस खेल में पदक जीतने की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। इस खेल के लिए पिछले साल के राष्ट्रीय चैंपियनशिप से शीर्ष चार महिला और पुरुष पहलवानों को चुना गया है जिनका प्रशिक्षण शिविर एनआईएस, पटियाला और भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र सोनीपत में आयोजित किया गया है जहां पुरुषों को जगमिंदर और हरगोविंद तथा महिलाओं को पीआर सोंधी प्रशिक्षण दे रहे हैं। वैसे तो राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती की अधिकांश कैटेगरी में भारत एक प्रबल दावेदार है पर कनाडा और नाइजीरिया के खिलाड़ी कुछ वजन श्रेणियों में भारत को चुनौती दे सकते हैं। इस बार इस खेल के जरिये भारत की झोली में 10 पदक आने की संभावना है। टेबल टेनिस टेबल टेनिस में भारत को मजबूत बनाने के लिए पुणे, पटियाला और अजमेर में नियमित रूप से शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इटली के मास्मिसो कस्टेनटिनी और साई के कोच भवानी मुखर्जी भारतीय टीम को कोचिंग दे रहे हैं। इस खेल में भारतीय खिलाडिय़ों को सबसे बड़ी चुनौती चाइना मूल के खिलाड़ी दे सकते हैं। ïवैसे संभव है कि इस बार चीन राष्ट्रमंडल खेलों को हिस्सा न हो पर चीनी मूल के खिलाड़ी सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और स्कॉटलैंड जैसी टीमों के लिए खेलकर भारत के लिए चुनौती बन सकते हैं। अचंता शरत कमल और शुभाजीत साहा सहित कई महिला खिलाडिय़ों के बूते कोच और खिलाडिय़ों को उम्मीद है कि इस खेल से भारत 4 या 5 पदक मिल सकते हैं।टेनिसभले ही सानिया मिर्जा ने पाकिस्तानी दुल्हन बनने का फैसला कर लिया हो और भले ही उनकी रैकिंग पिछले काफी समय से लगातर गिर रही है मगर फिर भी उनके पदक जीतने की उम्मीद भारत को अब भी है। कोच जयदीप मुखर्जी, नंदन बल, एनरिको पिपर्नो, अरुण कुमार सिंह और नितिन कीर्तने की निगरानी में सानिया मिर्जा, लिएंडर पेस और महेश भूपति के अलावा सोमदेव और युकी भांबरी जैसे युवा टेनिस सितारों की पदक जीतने उम्मीद है। नए खिलाडिय़ों का जोश और पुराने खिलाडिय़ों के अनुभव से भारत इस खेल में 5 पदक लाने की उम्मीद है। हॉकी हालांकि पिछले कुछ समय से पुरुष हॉकी में भारत का दबदबा कुछ कम हुआ है मगर भारत की महिला हॉकी टीम काफी स्ट्रॉग है जिसके पदक जीतने की प्रबल संभावना है। साथ ही पुरुष टीम के भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। इसके लिए कोच जोस ब्रासा खिलाडिय़ों पर काफी मेहनत कर रहे हैं। दूसरी ओर महिला टीम भी कोच एमके कौशिक की निगरानी में जमकर अभ्यास कर रही है। इस खेल से भारत को कम से कम दो पदक लाने की उम्मीद है। एथलेटिक्स कोलकाता, बंगलौर और पटियाला में भारतीय खेल प्राधिकरण भारतीय एथलीटों को जमकर मेहनत करवा रहा हैं। हालांकि इस खेल में पदक के लिए भारत कभी भी बड़ दावेदार नहीं रहा है मगर फिर भी मेजबान होने के नाते इस बार इस खेल के भाग्य में एक बड़े बदलाव के लिए उम्मीद की जा रही है । डिस्कस थ्रो, शॉट पुट, रिले रेस और ट्रिपल जंप के जरिये भारत को 6 से 8 पदक मिलने की उम्मीद है। बैडमिंटन भारतीय बैडमिंटन टीम के राष्ट्रीय कोच गोपी चंद को आशा है कि इस खेल के जरिए उनके खिलाड़ी भारत की झोली में कम से कम तीन पदल ला सकते हैं। इसके लिए खिलाडिय़ों को गोपीचंद और हदी इडरिस अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोंचिग दे रहे हैं ताकि भारतीय खिलाड़ी किसी भी मायने में किसी से कमतर साबित न हों। कोच को उम्मीद है कि सायना नेहवाल तो महिला एकल में स्वर्ण जीतेगी ही साथ ही ज्वाला गुटा और वी दीजू के भी डबल्स में पदक लाने की प्रबल संभावना है। भारोत्तोलन भारतीय भारोत्तोलन संघ और इसके खिलाड़ी हमेशा ही विवादों में रहते हैं। कभी घोटालों को लेकर तो कभी डोपिंग के कलंक तले दबे इस खेल के खिलाड़ी एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाएंगे। डोपिंग का डंक इस खेल पर इस कदर हावी है कि इसके खिलाडिय़ों से पदक की उम्मीद कम और डोपिंग टेस्ट में पाक साफ साबित होने उम्मीद ज्यादा की जाती है। भारोत्तोलन के राष्ट्रीय कोच हरनाम सिंह को वी एस राव, रवि कुमार, गीता रानी और युमनाम चानू के पदक जीतने की उम्मीद है। तैराकी नामी कोच प्रदीप कुमार और विदेशी देशों में उपलब्ध सुविधाओं के मिलने से तैरीकी के खिलाड़ी इस बार काफी जोश के साथ मैदान में उतरेंगे। वृंदावल खांडे, संदीप सेजवाल, जे अग्निश्वर यूरोप से उच्च स्तर की कोचिंग लेकर लौटे हैं। हो सकता है भारतीय तैराकी टीम के लिए यह राष्ट्रमंडल खेल एक सुनहरा मौका साबित हो जहां वे अपनी प्रतिभा का सफल प्रदर्शन कर सकें। कोच प्रदीप कुमार को भारतीय तैराकों से चार पदक जीतने की आशा है। मुक्केबाज़ी मुक्केबाजी के लिए खिलाडिय़ों को कोच जीएस संधू प्रशिक्षित कर रहे हैं। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ को अपने मुक्केबाजों से 3 पदक जीतने की उम्मीद है। भारतीय मुक्केबाज पटियाला में आयोजित मुक्केबाजी शिविर में प्रशिक्षण ले रहे हैं। कोच जीएस संधू खिलाडिय़ों पर जमकर मेहनत कर रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि भारत पदक के लिए इस खेल को आशा भरी नज़रों से देख रहा है। तीरंदाजी खेल मंत्रालय ने जिन तीरंदाजों का चयन किया है उन्हें कोलकाता में साई के प्रशिक्षण केन्द्र में मशहूर तीरंदाज लिम्बा राम प्रशिक्षण दे रहे हैं। फिलहाल भारतीय तीरंदाजों के नाम कोई विशेष रिकार्ड नहीं है मगर फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है। मंगल सिंह और झानू हसदा से पदक की उम्मीद की जा सकती है। स्क्वैश अब तक इस खेल में भारते ने कोई भी मेडल नहीं जीता है। बावजूद इसके इस खेल से भारत को काफी उम्मीदें हैं। भारतीय स्क्वैश टीम के संभावितों खिलाडिय़ों भारतीय स्क्वैश अकादमी, चेन्नई में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन खिलाडिय़ों को भारतीय कोच सायरस पोंचा और विदेशी कोच सुब्रमण्यम सिंगारवेलो मिलकर प्रशिक्षण दे रहे हैं। संभव है कि इस खेल में पाकिस्तान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देश भारत को सीधी टक्कर देंगे। फिर भी युगल के दोनों पुरुषों और महिला मुकाबलों में पदक जीतने की उम्मीद है। सरकार राष्ट्रमंडल खेलों को सफल बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस बार राष्ट्रमंडल खेल भारतीयों को टीम इंडिया के रूप में एक सूत्र में काम करने की चुनौती और मौका दे रहा है। वर्ष 2000 से भारत का खेलों का ग्राफ लगातार ऊंचा उठता जा रहा है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत चौथे और एशियाई खेलों में सातवें स्थान पर पहुंच चुका है। बावजूद इसके अभी भी हमारे कई लूप पाइंट हैं। ज्ञात रहे कि ऑस्ट्रेलिया और पड़ोसी देश पाकिस्तान में खिलाडिय़ों के लिए प्रायोजक होते हैं। पाकिस्तान में तो हर स्क्वैश और हॉकी खिलाड़ी के लिए एक-एक प्रायोजक होता है पर यह सब भारतीय खिलाडिय़ों की किस्मत में नहीं है। हमारे यहां अभी यह स्थिति नहीं बन पाई है, लेकिन अगले कुछ वर्षो में ऐसा होना चाहिए कि क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के शीर्ष खिलाडिय़ों के पास भी अपने-अपने प्रायोजक हों ताकि आगे जाकर खेलों में नया बदलाव आ पाए। तो क्या हुआ कि लगभग सवा अरब के आबादी वाला यह देश ओलम्पिक्स मे सिर्फ तीन मेडल लेकर आता हैं मगर खुशी इस बात की है कि इन पदकों ने उम्मीद जगाई है कि हम अन्य खेलों में भी पदक जीत सकते हैं और हमारे खिलाड़ी इस बार के राष्ट्रमंडल खेल में इसे संभव कर दिखाएंगे।

1 Comment:

Anonymous said...

very good article indeed

नीलम