Tuesday, February 23, 2010

कुर्सी के लिए महादलित का दांव

बिहार के मुख्यमंत्री आगामी विधासभा चुनाव से पहले अपनी स्थिति और मजबूत कर लेना चाहते हैं। पिछड़े वर्ग और पसमांदा मुसलमानों में जद यू का आधार मजबूत करने के बाद अब वे राज्य में दलितों के बीच अपना आधार मजबूत करना चाहते हैं। अपनी इसी रणनीति के तहत सबसे पहले नीतिश ने महादलितों की पहचान करने के लिए एक आयोग का गठन किया और बाद में खबर आई कि राज्य में महादलितों की जो पहचान की गयी है उसमें रविदास और दुसाध (पासवान) को बाहर रखा गया है। दिलचस्प यह कि रामविलास पासवान खुद दुसाध समाज से आते हैं और उनको लगता है कि नीतिश सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है ताकि वह दलितों के बीच बंटवारा कर सके। रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान बिहार में दलित सेना के भी अध्यक्ष हैं। अब रामविलास पासवान ने धमकी दी है कि अगर बिहार सरकार महादलित आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करती है तो वे उसके खिलाफ प्रदेश भर में आंदोलन करेंगे।
अव्वल तो यह कि नीतिश यहीं तक नहीं रुके हैं, जिस दिन रामविलास पासवान ने विरोध स्वरूप एक प्रदर्शन के दौरान यह बात कही उसके अगले ही दिन नीतिश कुमार ने कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया कि बिहार की न्यायिक सेवाओं में दलितों के लिए 49 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा। बिहार सरकार प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और अति पिछड़े वर्ग के लिए 22.5 प्रतिशत आरक्षण लागू करेगी। हालांकि यह आरक्षण सिविल जज (जूनियर केटेगरी) पर ही लागू होगा।
गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलितों को समाज तोडऩे वाली शक्तियों से सावधान करते हुए किसी भी हाल में अपनी एकता को टूटने नहीं देने का आह्वान किया। कुछ लोग आपकी एकता को तोडऩे की कोशिश करेंगे। आप टूटिएगा नहीं। महादलित मिशन ने आपके लिए जो कार्यक्रम बनाए हैं, उसे हर हाल में लागू किया जाएगा। भूमिहीन महादलित को तीन डिसमिल जमीन तो मिलेगी ही, उनका शौचालय सहित घर भी बनाया जाएगा। सरकार ने रेडियो खरीदने के लिए जो राशि दी है, उसे इधर-उधर खर्च नहीं करें। महिलाओं को विशेषकर इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है कि राशि कहीं शराब पीने में खर्च न हो जाए। धीरे-धीरे इनकी शराब पीने की आदत भी आप महिलाओं को ही छुड़ानी है। महादलितों के लिए मैं जो काम कर रहा हूं, उसके लिए कुछ लोग मुझे बुरा-भला कह रहे हैं। यह आरोप लगाया जा रहा है कि पासवान जाति के लिए कुछ नहीं हो रहा। साथ ही साथ वोट बैंक को निगाह में रखकर गांधी मैदान में आयोजित विशाल महादलित एकजुटता रैली में उन्होंने नान मैट्रिक को भी विकास मित्र बनाने की घोषणा की। जबकि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने हर महादलित को बीपीएल सूची शामिल करने की मुख्यमंत्री से अपील की। बकौल सुशील मोदी, नीतीश कुमार अगर पंचायत चुनाव में आरक्षण नहीं लागू करते तो आज अनुसूचित जाति से 1,380 मुखिया नहीं बनते। हमारी सरकार ने महादलितों को जो मान-सम्मान दिया है वह आगे भी जारी रहेगा। महादलित आयोग के अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषिदेव ने कहा कि ब्यूरोक्रेट मनमानी कर रहे हैं। महादलितों के लिए भूमि अधिग्रहण का काम करने से बीडीओ-सीओ कतरा रहे हैं।
सच तो यह भी है कि नीतिश कुमार अपनी सरकार के इस निर्णय को ऐतिहासिक बता रहे हैं और उनका कहना है कि इससे एक दशक पुरानी लोगों की मांग पूरी हो गयी है। राजनीतिक हलकों में पूरी कवायद को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है।

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नीलम