Wednesday, January 27, 2010

रानीतिक घोटाले

इतना होने के बाद आज भी तो घोटाले कम हुई है और ही जनता के पैसो का हेर फेर करने वाले घोटालेबाज आगे पढ़िए राजनितिक घोटालेबाजों की आखिरी किस्त इसी तरह 2003 उत्तर प्रदेश में ताज हेरिटेज कॉरिडोर घोटाले की परतें खुली जिसमें प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को विवादों के घेरे में ले लिया। मायावती पर आरोप है कि उन्होंने इतिहास के साथ खिलवाड़ किया है ताजमहल और लाल किले के बीच की जमीन बिल्डरों को बेच दी है। जबकि ताजमहल से लाल किले को साफ साफ देखने का उल्लेख इतिहास में भी है। ऐसे में इसके बीच को भूमि को बेचकर मायावती ने निजी स्वार्थो की पूर्ति की है। 175 करोड़ के इस घोटाले का मामला अब भी सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। इसके बाद 2003 में वह घोटाला हुआ जिसे घोटालों की मदर कहा जाता है। यह था अब्दुल करीम तेलगी के फर्जी स्टांप पेपर घोटाला। एक वाणिज्य स्नातक होने के नाते तेलगी को मांग और आपूर्ति का नियम समझने में जरा भी देर नहीं लगी और वह समझ गया कि देश में स्टांप पेपर की आपूर्ति की भारी कमी थी। 1994 में एक विधायक और राजस्व मंत्री की मदद से एक स्टांप विक्रेता का लाइसेंस प्राप्त कर तेलगी ने इस घोटाले को अंजाम दिया। उसके इस कांड में कई नेताओं और नौकरशालों के शामिल होने का शक है। लोगों को तेलगी के बयान का इंतजार है पर तेलगी की इस मामले में चुप्पी मामले की गंभीरता को और भी बढ़ाती है। फिलहाल तेलगी का मामला मुंबई हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसी तरह 2006 में जस्टिस पाठक समिति ने आरोप लगाया है कि 2001 में नटवर सिंह ने अपने पुत्र जगत सिंह के एक मित्र अंदलीब सहगल और आदित्य खन्ना को सद्दाम हुसैन के माध्यम से तेल का ठेका दिलवाया था जिसके बदले इन दोनों ने नटवर सिंह को कमीशन दिया था। आइल फॉर फूड के नाम से जाना जाने वाले इस घोटाले के चलते पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनके विधायक पुत्र जगत सिंह भी विवादों के घेरे में है। 2008 जांच में तमिलनाडू का 60,000 करोड़ रु स्पेक्ट्रम घोटाला भी लोगों के लिए चर्चा का विषय है इस घोटाले में द्रमुक परिवार के कई सदस्यों के संलिप्त होने का शक है। इनपर दूरसंचार के क्षेत्र विस्तार के लिए 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में गड़बड़ी का आरोप है। लोगों में 2 जी स्पैक्ट्रम घोटाले के तौर पर रेखांकित इस घोटाले में हजारों करोड़ की सरकारी खजाने क्षति हुई है। इस मामले में सीबीआई की जांच और छापे अब भी जारी हैं। और अब कोड़ा का 40 अरब का यह ताजा घोटाला जिसमें कई बड़े भारतीय नेताओं के शामिल होने का अंदाज़ा है। देश के अब तक के सबसे बड़े राजनीतिक घोटाले में कोडा साम्राज्य ने मुंबई से लेकर अफ्रीका के कई हिस्सों में लक्जरी होटल, मुंबई में तीन कंपनियों, थाईलैंड में एक होटल और एक कोयला खान अपने नाम करने के साथ दक्षिण अफ्रीका और लाइबेरिया में अवैध विदेशी मुद्रा के लेनदेन और संपत्ति खरीदी है जिसका कथित तौर पर मूल्य लगभग 40 अरब है। अभी तक कोड़ा ने अपना मुंह नहीं खोला है और हो सकता है खोले भी न पर इतने बड़े कांड को अकेले कोड़ा या बिहार के चंद लोगों के बलबूते अंजाम देना संभव नहीं है यह सभी जानते हैं। अब रहा सवाल किसी नाम जग जाहिर न करने का तो यह बात मधु भी अच्छी तरह जानते हैं कि करोड़ों के घोटाले की सजा के तौर पर उन्हें अधिक से अधिक कुछ वर्षों की ही सजा मिलेगी। जेल छूटने का बाद भी उनका राजनैतिक कैरियर बदस्तूर जारी रहेगा। यह भारत का जनता की विडंबना ही है कि जनता के पैसे का इतना बड़ा हेरफेर करने वालों को फिर से संसद तक पहुंचाना जनता की मजबूरी है उनके सामने कोई विकल्प ही नहीं होता। भारत जैसे देश में जहां भ्रष्टाचार और घोटालें के मुद्दे पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बात तक को अनदेखा कर दिया जाता है और सज़ा के तौर पर मात्र औपचारिकता पूरी की जाती है ऐसे देश में अगर हर दिन एक कोड़ा पैदा हों तो इसमें आश्चर्य कैसा?

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नीलम