Monday, January 4, 2010

मंत्रियों के बोल, गोल मोल

आमतौर पर यही माना जाता है कि मंत्री जी ने जो कह दिया वही सत्य है। क्योंकि सरकार के काम-काज का जवाब उनके बयानों से ही मिलता है। मगर यूपीए सरकार के कुछ मंत्री ऐसे भी हैं, जो बयान तो दे रहे हैं, पर शायद उन्हें पता नहीं होता कि वे सच कह रहे हैं या गलत। इसका कुछ नजारा यहां देखा जा सकता है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में कुछ ऐसे नेता, मंत्री भी हैं, जो अपने मंत्रालय की बाबत की कुछ ऐसे बयान दे देते हैं, जो सत्य से परे ही नहीं सत्य के पार भी होता है। इन मंत्रियों में रेल मंत्री ममता बनर्जी जैसी खास सख्सियत वाली नेता ही नहीं, सचिन पायलट जैसे नौजवान पीढ़ी के नेता भी शामिल हैं। बुर्जग और अनुभव नेता के बिना यह मामला पूरा नहीं होता, सो हिमाचल के तपे-तपाये नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गये। वीरभद्र सिंह इस्पात मंत्री बयान- लौह अयस्क पर के निर्यात पर सरकार पाबंदी लगा सकती है। सच्चाई- निर्यात के लिये कंपनियों से लंबी अवधि की डील होती है, उसका क्या होगा? वर्तमान में इस्पात मंत्री बने वीरभद्र सिंह ने इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम में कहा कि लौह अयस्क निर्यात पर पाबंदी लग सकती है। उनके अनुसार ऐसा इसलिये संभव है क्योंकि आने वाले दो सालों में देश में स्टील का उत्पादन 10 करोड़ टन प्राति वर्ष का हो जायेगा, ऐसे में घरेलू बाजार की मांग को पूरा करने के लिये हमें लौह अयस्क पर प्रतिबंध लगाना चाहिये। एक बारगी तो यह बयान सही लगता है, पर ऐसा करना क्या संभव है? यह बात मंत्री जी ने या तो नजरअंदाज कर दी, या इसे समझ ही नहीं पाये। जबकि असली कहानी यह है कि यह मांग बहुत पुरानी है। देश में करीब 20 टन करोड़ लौह अयस्क का उत्पादन होता है। जिसमें से लगभग 10 करोड़ टन का वित्त वर्ष 2008-09 में निर्यात किया गया। इसके साथ ही इस्पात मंत्रालय के आकड़े यह तस्वीर दिखाते हैं कि देश में लौह अयस्क के आपूर्ति की समस्या नहीं होने वाली है। इसके अलावा निर्यात के लिये कंपनियों के साथ लंबी अवधि का समझौता होता है। उसे कोई भी सरकार कैसे नजरअंदाज कर सकती है? सचिन पायलट दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री बयान- वाईमैक्स पद्धति से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में ब्राडबैंड सेवा पहुंचाना मुश्किल है। इसके लिये 3जी चाहिये। सच्चाई- वाईमैक्स तकनीक की मदद से ब्राडबैंड सेवा देश के कोने-कोने तक पहुंचायी जा सकती है। इसके लिये 3 जी की विशेष आवश्यकता नहीं है। नौजवान नेता व राहुल गांधी युवा ब्रिगेड के सिपहसालार सचिन पायलट की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। सचिन वर्तमान में दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। इसलिये इनकी कही एक-एक बात का गहरा अर्थ निकाला जाता है। लेकिन शायद सचिन जी भी जुदा बयानबाजी की राह पर चल पड़े हैं। हुआ यूं कि एक दिन पत्रकारों के साथ प्रेसवार्ता में वे बोले कि वाईमैक्स तकनीकी से गांवों व दूर-दराज के इलाकों में ब्राडबैंड सेवा पहुंचाना मुश्किल है। इसलिये गांवों में ब्राडबैंड पहुंचाने के लिये 3जी का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जबकि हकीकत यह है कि वाईमैक्स ऐसी तकनीक है, जिससे ब्राडबैंड को देश के किसी भी कोने में आसानी से पहुंचाया जा सकता है। शायद मंत्रीजी को सच्चाई पता नहीं थी, या 3जी का इतना इस्तेमाल करने लगे हैं कि हर वक्त जुबान पर बस यही छाया रहता है। खैर जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि मंत्रियों के बोल कितने निराले होते जा रहे हैं। ममता बनर्जी रेल मंत्री बयान- तूरंतो भारतीय रेल इतिहास की पहली नॉनस्टॉप ट्रेन होगी। सच्चाई- संपूर्ण क्रांति व श्रमशक्ति पहले सेे ही नॉनस्टॉप ट्रेनें हैं, जो चल रही हैं। इस कड़ी में तीसरा व सबसे कद्ïदावर नाम दूसरी बार रेलमंत्री बनीं ममता बनर्जी का जुड़ गया है। इस साल के रेल बजट से चारों ओर से प्रसंशा की पात्र बनीं ममता जी ने रेल बजट के दौरान कुछ ऐसी जानकारियां दी, जो सच्चाई से कोसों दूर हैं। उनके बजट भाषण में पेज संख्या 24 पर नॉनस्टाप ट्रेन तूरंतो चलाने की बात कही गयी है और आगे लिखा है कि यह भारतीय रेल इतिहास की पहली नॉनस्टाप ट्रेन होगी। पर शायद उन्हें याद नहीं है कि पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार ने पटना और नईदिल्ली के बीच नॉनस्टाप ट्रेन शुरु की थी, जो आज भी चल रही है। बीच के स्टेशनों पर इसका कर्मशियल स्टापेज नहीं है। इसी तरह दिल्ली से कानपुर के बीच भी श्रमशक्ति नामक नॉनस्टाप ट्रेन चलती है। इस ट्रेन का कर्मशियल तो दूर ऑपरेशनल स्टॉपेज भी नहीं है। बात यही थम जाती तो ठीक थी, पर पेज संख्या 22 पर प्रेस संवाददाताओं को रियायतें शीर्षक से लिखा गया है कि रियायत को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जायेगा। जबकि सच्चाई यह है कि राजधानी व शताब्दी को छोड़कर अन्य सभी ट्रेनों में पत्रकारों को पहले से ही 50 प्रातिशत रियायत जारी है। अब ममता जी किसे क्या देना चाहती हैं ये तो वहीं जान सकती है। हां पर यह बात जरुर है कि अपनी जानकारियों हमें यह जानकारी तो दे ही दी है कि उनकी जानकारी कितनी है। गुलाम नवी आजाद स्वास्थ्य मंत्री बयान- लोगों के घर में टीवी होगा तो जनसंख्या कम बढ़ेगी। सच्चाई- ऐसा कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं है, जिससे इनकी बात साबित हो सके। अपने नये-नये स्वास्थ्य मंत्री तो भाई गजब के हैं और इनकी बातें तो माशाअल्ला और भी गजब की होती हैं। अभी कुछ दिन पहले ही आजाद जी ने बयान दिया कि भारत में जनसंख्या बढऩे का एक कारण यह भी है कि लोगों के पास टेलीविजन नहीं है। इसके पीछे इनका तर्क यह था कि जब लोगों के पास टेलीविजन होगा, तब लोग देर रात तक टीवी कार्यक्रमों में व्यस्त रहेंगे और फिर थक कर सो जायेंगे। इससे जनसंख्या नहीं बढ़ेगी, मसलन मियां-बीबी टीवी में व्यस्त होकर सो जायेंगे और आपस में संबंध कम बना पायेंगे, जिससे तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाया जा सकता है। कुछ हद तक इनकी बात में दम हो सकता है, मगर ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे यह साबित हो सके टीवी वाले घरों की जनसंख्या कम होती है। चलिये इनके कहे लोग टीवी ले भी आयें तो इसे चलाने के लिये बिजली कौन देगा? मेट्रो शहरों की चकाचौंध में रहने वाले नेताजी शायद यह भूल रहे हैं कि आधी से ज्यादा आबादी वाले हमारे गांवों में 24 घंटे में से बमुश्किल 4 घंटे ही बिजली नसीब हो पाती है। यदि बिजली गुल हो गयी तो कभी-कभी महीनों इसके दर्शन नहीं होते। कुछ इलाके तो आज भी ऐसे हैं जहां बिजली तो दूर बिजली के खंभे और तार भी सरकारी भ्रष्टïाचार का शिकार हो गये हैं और आजतक नहीं लग पाये। ऐसे में मंत्रीजी के बयान का कोई अर्थ नहीं रह जाता। खैर यह तो सरकार है और सरकार का कहा भला कौन टाल सकता है? मनोज द्विवेदी manragini.blogspot.com

3 Comments:

पंकज झा. said...

बहुत अच्छा ब्लॉग..काफी अच्छी खबर ली है आपने यूपीए सरकार के मंत्रियों की..एक सुझाव है. गृहमंत्री चिदंबरम ने अभी पिछले ३ महीने के दौरान नक्सलवाद पर कुल ७-८ तरह के विरोधाभासी बयान दिया है. उनके उलटने-पलटने के रिकॉर्ड पर अगर एक अच्छा आलेख लिख पाती पूरे सन्दर्भों के साथ तो काफी उपयोगी होता. बहरहाल बहुत अच्छा प्रयास...बहुत बधाई.

ashish said...

time nahi hai padhane ke liye

सुभाष चन्द्र said...

behtarin sotry............ aage kya kahun.... aap budhijivi hain..

नीलम