Sunday, February 13, 2011

अजब प्रेम की गजब कहानी

सत्ता, सेक्स और संपत्ति का घालमेल किस हद तक हो सकता है, इसकी एक बानगी एनडी तिवारी, डॉ. उज्ज्वला शर्मा और रोहित शेखर है। तीनों के अपने-अपने दावे और उसी के अनुरूप अपने-अपने तर्क। कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है, इसे अच्छे से अच्छा मनोविज्ञानी भी न समझ पाए। बड़ी असमंजस की स्थिति है। सच जानने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एनडी तिवारी को डीएनए टेस्ट कराना होगा। टेस्ट अभी हुआ नहीं है, सो कानून की पेचीदगियों से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, मगर इस सच को भी नहीं झुठलाया जा सकता है कि ऊंचे और शीशे के मकानों में रहने वालों के किस्से भी अजब-गजब होते हैं। जीवन के ढाई दशक बीत जाने के बाद रोहित शेखर नामक युवक कहता है कि आठ दशक पार कर चुके वृद्ध एनडी तिवारी उसके जैविक पिता हैं। शुरुआती दिनों में सुनने में यह अजीब लगता था, लेकिन जब पांच दशक से अधिक की जिंदगी जी चुकी रोहित शेखर की मां डॉ. उज्ज्वला शर्मा भी अपने बेटे के साथ खड़े होकर कहती है- 'हां, तिवारी ही रोहित के जैविक पिता हैं। सरकारी कागजों में पिता के रूप में जिस बीपी शर्मा का नाम है, वह तो उसके पालन-पोषण करने वाले हैंÓ तो मामला और पेचीदा हो जाता है। आमलोगों की रायशुमारी में यह मामला सत्ता, शोहरत और दौलत का है। आखिर, क्यों एक बेटा अपने को नाजायज कहलाने पर तुला हुआ है, वह भी इतने सालों के बाद? लेकिन, इस बारे में रोहित का अपना तर्क है- 'मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूं कि आगे से किसी बच्चे का हक नहीं मारा जाए। जब संविधान ने जीने का अधिकार दिया है तो हर बच्चे का हक बनता है कि उसे उसका पिता का नाम मिले।Ó मामले को सरसरी तौर पर देखा जाए तो विवादित वीडियो टेप के चलते आंध्रप्रदेश का गवर्नर पद गंवाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 साल के युवक रोहित शेखर की याचिका पर तिवारी को नोटिस जारी किया है। रोहित का आरोप है कि तिवारी उसके पिता हैं और इसे साबित कराने के लिए उनका डीएनए टेस्ट कराया जाए। कहा जा सकता है कि नारायण दत्त तिवारी अपने लंबे राजनीतिक जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। पहले एक विवादित वीडियो टेप के कारण उन्हें आंध्र प्रदेश के गवर्नर पद से इस्तीफा देना पड़ा और अब रोहित शेखर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस। रोहित शेखर पिछले साल भर से यह मांग कर रहा था कि उसकी बात को साबित करने के लिए नारायण दत्त तिवारी का डीएनए टेस्ट कराया जाए। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने पिछले साल रोहित शेखर की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट का कहना था कि रोहित को 18 साल का होने के तीन साल के अंदर ये याचिका दाखिल करनी चाहिए थी। इस आदेश को चुनौती देते हुए रोहित ने अपना पक्ष रखा कि नारायण दत्त तिवारी लगातार उन्हें और उनकी मां को झांसा देते रहे कि जल्द ही वे उन्हें अपना लेंगे। मामला अदालत कैसे पहुंचा, इसका भी खुलासा रोहित ने किया। रोहित के अनुसार, '7 दिसंबर, 2005 को एनडी तिवारी नई दिल्ली में सैम पित्रोदा से मिलने आए थे। यहां के ताजमान सिंह होटल में ठहरे थे। उस समय उनके साथ कई बड़े अधिकारी भी थे। मैं भी तिवारी से मिलने के लिए होटल पहुंचा। उनके सहायक को पर्ची दी कि मैं मिलना चाहता हूं। मैं बाहर इंतजार करता रहा और तिवारी ने मिलने का समय नहीं दिया। जब मैं खुद अंदर गया तो देखा कि तिवारी मेरी पर्ची को फाड़ चुके थे। मुझे काफी गुस्सा आया। उन्होंने मुझसे बात तक करने से इनकार कर दिया। वहीं से मैंने ठान लिया कि मैं अब अपना हक लेकर रहूंगा।... ऐसी ही उपेक्षा तिवारी ने हम लोगों के साथ अपने 80वें जन्मदिन पर भी की। मां के कहने पर हम उनके आवास पर केक लेकर पहुंचे थे। हजारों की संख्या में उनके चाहने वाले थे। हमने सबके सामने उन्हें केक काटने के लिए कहा, मगर हमारी तरफ से भेंट किए गए केक को उन्होंने बंद कमरे में काटा। साथ ही, उनके निकट के सहयोगियों ने कमरे से बाहर जाने से मना कर दिया। इन घटनाओं के बाद करीब दो वर्ष तक मैंने यह कोशिश की कि मामला आपसी बातचीत के जरिए सुलझ जाए, लेकिन तिवारी को यह मंजूर नहीं हुआ। नतीजन, मामला पिछले तीन वर्ष से कोर्ट में है और अब मुझे पूरा भरोसा है कि कोर्ट के हस्तक्षेप से मुझे मेरा हक मिल जाएगा।Ó बहरहाल, मामला जितना दिख रहा है, पर्दे के पीछे इसके कई अनछुए पहलू भी हैं। दरअसल, सत्ता और सेक्स का घालमेल भारतीय राजनीति में दशकों पुराना है। यह मामला भी कुछ उसी तर्ज पर है। सत्तर के दशक के उत्तराद्र्ध में शेर सिंह हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा नाम होते थे। केंद्र में राज्यमंत्री भी रह चुके थे। वर्ष 1967 से 1979 तक वह सांसद भी रहे। उन्हीं शेर सिंह की पुत्री हैं डॉ. उज्ज्वला शर्मा। राजनीतिक लोगों के बीच उठना-बैठना उज्ज्वला शर्मा का भी था। घर आने वाले अतिथियों की आवभगत भी कभी-कभार वह किया करती थीं। उस समय एनडी तिवारी यूथ कांग्रेस में थे। एक सरपरस्ती के चलते उनका शेर सिंह के यहां आना-जाना लगा रहा। हालंाकि, उस समय उज्ज्वला शर्मा विवाहित थीं। उनके पति बीपी. शर्मा एक व्यवसायी थे। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का दामाद होने का लाभ भी उन्हें कारोबार में मिलने लगा था और 'कारोबारÓ चल निकला। उस समय के कुछ लोगों से जब इस बाबत चर्चा की गई तो पता चला कि विवाह के कुछ दिनों बाद ही उज्ज्वला की अपने पति बीपी शर्मा से नहीं बनती थी। दोनों के स्वभाव में कई असमानताएं थी। बेशक, लोकलाज के कारण दोनों एक छत के नीचे रहते थे, मगर अलगाव की स्थिति थी। बीपी शर्मा नई दिल्ली से बार-बार बिहार भी जाते थे। चूंकि, बीपी शर्मा का ताल्लुक बिहार से था, इसलिए वह कभी पारिवारिक कारणों से, तो कभी कारोबार के कारण बिहार जाते-आते रहते थे। अलगाव की स्थिति बढ़ती जा रही थी। उसी दरम्यान एनडी तिवारी को इस बात की जानकारी हुई। बताया यह भी जाता है कि उस समय एनडी तिवारी दांपत्य जीवन में वर्षों गुजारने के बाद भी संतान सुख प्राप्त नहीं कर सके थे। इसलिए उज्ज्वला और तिवारी की नजदीकियां बढ़ती गईं। पहले भौतिक रूप से निकट आने के बाद कब दोनों दैहिक स्तर पर भी एक-दूजे के हो गए, किसी को पता ही नहीं चला। आज डॉ. उज्ज्वला शर्मा बेहिचक के कहती हैं, 'जब से तिवारी को यह पता चला कि मेरे और बीपी शर्मा के संबंध मधुर नहीं हैं तो वह स्नेह के जरिए मेरे निकट आए। करीब सात वर्षों तक स्नेहपूर्ण संबंध रहा। वर्ष 1977 में जब मैंने देखा कि एनडी तिवारी जैसे योग्य और भद्र पुरुष की ओर से पिछले सात वर्षों से एक निकट मैत्री संबंध का प्रस्ताव है तो मैं खुद को रोक नहीं पाई। कई बातों के होने के बावजूद मेरे और तिवारी के शारीरिक संबंध बने। फलस्वरूप 15 फरवरी, 1979 को रोहित का नई दिल्ली में जन्म हुआ।Ó यहां तक की कहानी के बाद तो यही लगता है कि मामला सब कुछ क्लियर है। फिर ये अदालती चक्कर क्यों? दरअसल, नारायण दत्त तिवारी इन बातों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। तिवारी का साफ तौर पर कहना है कि वह संतान पैदा करने के काबिल ही नहीं हैं। अगर कुदरतन ऐसा होता तो उनके दांपत्य जीवन में भी संतान की किलकरियां सुनने को मिलतीं। यह बात अलग है कि तिवारी के रंगीन मिजाजी के किस्से उत्तराखंड की पहाडिय़ों से लेकर पूरे देश में चाव लेकर सुने और सुनाए जाते हंै। दरअसल, दो बार कांग्रेस के खिलाफ चुनाव जीतने वाले तिवारी ने 1963 में जब कांग्रेस का दामन थामा तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी इस कामयाबी ने अच्छे-अच्छों को कायल बना दिया। वे हेमवतीनंदन बहुगुणा के खास रहे, पर जब आपातकाल में संजय गांधी की चरणपादुकाओं ने उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया तब उन्होंने बहुगुणा की तरफ देखा तक नहीं। वह चार बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। कितने ही केंद्रीय मंत्रालयों के मंत्री रहे। पुराने लाल टोपीधारी तिवारी हर समय उद्योपगतियों की आंखों के तारे और दुलारे रहे। उनकी इस अदा का कांग्रेस आलाकमान भी कायल रहा। राजनीति के तमाम उतार-चढ़ावों के बीच तिवारी आधी सदी तक कांग्रेस राजवंश के वफादार बने रहे। कहा जाता है कि अपना प्रशस्तिवाचन सुनना उनका प्रिय शगल रहा है और इस पर वह मुग्ध भी होते रहे हैं। जिसने भी उनका प्रशस्ति गान किया उसे उन्होंने निहाल कर दिया। उनका यही कौशल था, जिसके चलते 2002 में उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने मीडिया के दिग्विजयी धुरंधरों को मुख्यमंत्री आवास के पिछवाड़े में खूंटे से बांध दिया था। इसके उलट, तिवारी के राजनीतिक जीवन की त्रासदी रही है कि सार्वजनिक कार्यों से ज्यादा उनकी चर्चा यौन संबंधों को लेकर हुई। पता नहीं कितनी ही स्त्रियों का नाम उनसे जोड़ा गया। वे चाहे यूपी के मुख्यमंत्री रहे हों या केंद्रीय मंत्री, राजनीति की बार बालाएं यात्रा से लेकर घर तक उनके जीवन पर छाई रहीं। जब वे उत्तराखंड में मुख्यमंत्री थे तब एक कमसिन और हसीन लड़की को राज्य की सबसे ताकतवर महिला माना जाता था। इसे लेकर पूरे राज्य में चटखारेदार किस्से सुनाकर लोग अपनी यौन कुंठाओं को आवाज देते रहे। इसे संयोग कहें या उनके अंदाज की बानगी कि मुख्यमंत्री के उनके उस कार्यकाल में भी पहले दस सर्वाधिक ताकतवर लोगों में भी सात महिलाएं ही थीं। यह अकारण नहीं था कि सनसनीखेज वीडियो के खुलासे के बाद आंध्र प्रदेश के अखबार भी राजभवन को 'ब्रोथल हाउसÓ नाम दे रहे थे। इन सारी महिलाओं की तादाद को अगर जोड़ा जाए तो इसके मुकाबले बड़े से बड़ा मुगल बादशाह भी बौना दिखता है। इसी कड़ी में एक नाम डॉ. उज्ज्वला शर्मा का भी है। उन्होंने पहले तो कभी सार्वजनिक मंचों पर यह नहीं कहा कि मेरे तिवारी के बीच शारीरिक संंबंध हैं, जो कई वर्षों तक चले। मगर, उसी उज्ज्वला शर्मा का पुत्र रोहित शेखर सैकड़ों फोटो और अन्य सबूत लेकर कानूनी दावे के साथ बार-बार कह रहा है कि मेरे नाजायज बाप एनडी तिवारी हैं। मुझे मेरे बाप का नाम चाहिए। यहां सवाल यह भी उठता है कि क्या अभी तक रोहित शेखर को बाप का नाम नहीं मिला था? जबाव मिलता है, सरकारी कागजों में उसके बाप का नाम बीपी शर्मा है, जो उसकी मां के पति हैं। कानूनी किताबों के आधार पर यह कहा जा रहा है कि बीपी शर्मा स्वभाविक पिता हैं, क्योंकि वह उसके मां के पति हैं और उन्होंने रोहित का लालन-पालन किया है। चूंकि, बीपी शर्मा का डीएनए और रोहित शेखर का डीएन आपस में मेल नहीं खाता है, इसलिए वह उसके जैविक पिता नहीं हैं यानी पिता भी हुए दो- स्वाभाविक और जैविक। इससे पहले भी हाईकोर्ट ने पुत्र विवाद मामले में एनडी तिवारी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने अपने पुत्र का दावा करने वाले रोहित शेखर की याचिका से संशोधित अंशों को हटाने की मांग की थी। इतना ही नहीं, अदालत ने तिवारी पर लगाए 75 हजार रुपये के जुर्माने को खारिज करने से भी इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति विक्रम जीत सेन और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रोहित ने संशोधित याचिका में ऐसे कोई भी नए तथ्य नहीं जोड़े जिनका केस पर प्रभाव पड़ता हो। एकल जज का फैसला पूरी तरह उचित है और उन पर मामले को बेवजह लटकाने पर लगाया गया 75 हजार रुपये का जुर्माना भी उचित है। अदालत ने एकल जज के फैसले के निर्देशानुसार जुर्माने की राशि रोहित शेखर को देने का निर्देश दिया है। रोहित शेखर एनडी तिवारी का का पुत्र है या नहीं, इस मुद्दे पर अब भी सुनवाई जारी है। करीब तीन वर्षो से चल रहे रोहित शेखर और एनडी तिवारी के प्रकरण में आखिरकार अदालत को भी मानना पड़ा कि रोहित की बातों में दम है। कुछ तो है, जो यह युवक एनडी तिवारी को अपना बाप बता रहा है। खास बात यह है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिवारी को डीएनए संबंधी मामले में नोटिस भी भेजा है। न्यायालय ने यह नोटिस रोहित शेखर की याचिका पर जारी किया है। याचिका में शेखर ने दावा किया है कि तिवारी उनके पिता हैं। मुख्य न्यायाधीश अजीत प्रकाश शाह और न्यायमूर्ति राजीव सहाय की खंडपीठ ने रोहित की याचिका के आधार पर तिवारी को नोटिस जारी करते हुए उनसे 9 फरवरी तक न्यायालय में अपना पक्ष रखने को कहा है। अपनी याचिका में रोहित ने तमाम तरह के सबूत संलग्न किए हैं, जो यह साबित करते हैं कि एनडी तिवारी, उज्ज्वला और रोहित के कितने करीब रहे हैं। अब यह मामला डीएनए टेस्ट की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस राज पर से पर्दा हटे कि एनडी तिवारी ही रोहित शेखर के पिता हैं और अगर पिता हैं तो फिर रोहित शेखर को उसका हक मिलना चाहिए। इस दिशा में अब सब कुछ हाईकोर्ट पर निर्भर करता है।

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नीलम