Thursday, December 31, 2009

नववर्ष दो हजार दस

खुशियों भरा संसार दे, नव वर्ष की पहली किरण
आनंद का उपहार दे, नव वर्ष की पहली किरण
दुनिया की अंधी दौड़ में, कुछ दिल्लगी के पल मिले
सबको ही अनुपम प्यार दें, नव वर्ष की पहली किरण
जर्जर हुए बदले अधर, नव वर्ष की पहली किरण
नव चेतना, दे नया स्वर, नव वर्ष की पहली किरण
अब आ चढ़ें नव कर्म रथ पर हर चिरंतन साधना
इस बुद्धि को कर दे प्रखर, नव वर्ष की पहली किरण
सबको अटल विश्वास दे, नव वर्ष की पहली किरण
नव देह में नव श्वास दे, नव वर्ष की पहली किरण
इस अवनि तल पर उतरकर, अब कर दे रौशन ये फिज़ा
उल्लास ही उल्लास दे, नव वर्ष की पहली किरण
अब आ रही है मनोरम, नव वर्ष की पहली किरण
यह चीरती अज्ञान तम, नव वर्ष की पहली किरण
मैं छंद तुझ पर क्या लिखूँ 'अद्भुत' कहूँ इतना ही बस।
सुस्वागतम सुस्वागतम, नव वर्ष की पहली किरण

2 Comments:

Unknown said...

It's Very Good. But How to Write tell me i also want to write like You. Aap Itna Kaise Soch letee hai.

Arun Mittal "Adbhut" said...

ये कविता मेरी लिखी हुई है और मैं हैरान हूँ की बिना मेरे नाम का विवरण दिए इसे कॉपी कर लिया गया है .... ये सरासर गलत है.. इसे तुरंत इस ब्लॉग से हटाया जाना चाहिए या फिर मूल स्रोत और रचनाकार के नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए .. यह कविता अनुभूति पर प्रकाशित हो चुकी है ...

अरुण मित्तल अद्भुत

नीलम