Wednesday, December 30, 2009

सर्दियों में सैर सपाटा

सर्दियों में सैर सपाटा सर्दी का मौसम घूमने फिरने वालों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इस मौसम में विदेशी सैलानी भी भारत का रुख करते हैं क्योंकि उनके लिए भारत की सर्दियां गुलाबी होती हैं। अगर इन सर्दियों में आपका भी सैरसपाटे का मन है तो निकल पडिए भारत के किसी भी कोने में, ये मौसम पूरे भारत के लिए आदर्श है। चाहे बर्फीली वादियां हों या तपता रोगिस्तान या फिर समुंदर का किनारा, सर्दी के मौसम में घूमने का अलग ही मजा है। वैसे तो सर्दियों में घर से बाहर न निकलने के लिए लोगों के पास ढेरों बहाने मौजूद होते हैं पर घूमने फिरने की बात पर सभी आसानी से तैयार हो जाते हैं। यही वह मौसम है जब घूमने से सबसे ज्यादा आनंद आता है। भारत में ऐसे ढेरों स्थान हैं जिनकी खूबसूरती सर्दियों में अपने चरम पर होती है। प्रकृकि के कई अनोखे रंग इस मौसम में बिखरते हैं। विदेशी सैलानियों को भी भारत का यह सर्दियों का मौसम अपनी ओर खींचता है क्योंकि सर्दियों में भारत उनके देश की अपेक्षा गर्म रहता है। यहां बताए जा रहे हैं भारत के कुछ फेवरेट विंटर डेस्टिनेशन तय आप को करना हैं कि यह सर्दियां आप कहां बिताना चाहते हैं। १.बर्फीली घाटियों में टहलें चाहे स्नोफॉल का मजा लेना हो या बर्फ पर घूमना या फिर स्लेजिंग और स्कीइंग के खेल का मजा लेना यह तब तभी संभव हो पायेगा जब आप सर्दियों में पहाडों की सैर करेंगे। आसमान से सफेद रुई जैसी बर्फ जब आपके शरीर से टकराती है तो उस अनुभव को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। स्नोफॉल की शुरुआत अक्सर जनवरीद्ब्रफरवरी में होती है। पहले भले ही लोग सर्दियों में पहाडो पर जाने से कतराते हों पर अब, लोग सर्दियों का इंतजार करते हैं ताकि बर्फीली वादियों की सैर कर सकें। । पर्वतों की रानी शिमला सर्दी हो या गर्मी शिमला हर मौसम में सबकी पसंदीदा हिल स्टेशन है। स्नोफॉल देखने के लिए तो शिमला सबसे पहले लोग शिमला का ही रुख करते है क्योंकि यह दिल्ली से काफी करीब है। यहां का मौसम कुछ कुछ निराला है। यहां कुफरी और नारकंडा में जब स्नोफॉल होता है तब शिमला का मौसम सुहाना होता है। इससे होता यह है कि आप कुफरी और नारकंडा में बर्फ में खेलने के बाद शिमला के मॉलरोड पर टहल सकते हैं। कुफरी और नारकंडा में स्नोफॉल होने के बाद शिमला में स्नोफॉल शुरू होता है। जो मजा यहां के मॉल रोड और स्केंडल पॉइंट पर स्नोफॉल देखने और बर्फ पर खेलने में आता है वह कहीं और नहीं आता। शिमला के आसपास जाखू मंदिर, कालीबाडी, वायसराइगल लॉज, समर हिल आदि भी घूमने का अलग ही आनंद है। हनीमून इन कुल्लू मनाली हिमालय का जो सौंदर्य व्यास नदी के तट पर बसे कूल्लू मनाली में दिखता है वह शायद ही और कहीं देखने को मिले। एक ओर कल कल बहती व्यास नहीं दूसरी ओर आसमान को छूती पर्वत श्रृंखलाएं किसी को भी रोमांचित कर सकती हैं। तभी तो इसे हनीमून मनाने के लिए सबसे आदर्श माना जाता है। यहां भी जनवरी से हिमपात शुरू हो जाता है। सबसे पहले रोहतांग दर्रे के पास हिमपात होता है। इसके साथ ही यहां का मार्ग बंद हो जाता है। और फिर देखते ही देखते पूरा शहर बर्फ की चादर से ढंक जाता है। वशिष्ठ मंदिर और हिडम्बा मंदिर जाने के लिए भी बर्फ पर चलना पडता है। हिमाचल प्रदेश में मनाली के निकट सोलांग घाटी विंटर गेम्स के लिए आदर्श स्थान है। यहां के ढलानों की विशेषता है कि यहां नौसिखिए सैलानियों भी स्कीइंग करने आनंद उठा सकते हैं। मनाली से सौलांग वैली आसानी से जाया जा सकता है। नैनीताल का टाइगर प्रोजेक्ट नैनीताल में स्नोफॉल का आनंद तो लिया ही जा सकता है साथ ही वाइल्ड लाइफ को भी काफी करीब से देखा जा सकता है। नैनीताल की नैनाभिराम दृश्य और पहाडों पर जमी सफेद बर्फ की चादर इसको स्वर्ग सा खूबसूरत बना देती हैं। और इन्हीं पर्वतों के साये में बसा है नैनीताल का कार्बेट नेशनल पार्क जो भ्ख्क् वर्ग किमी में फैला है। इसे साल, खैर, शीशम आदि वृक्ष और भी खूबसूरत बनाते हैं। यह उद्यान अपने बाघों के लिे पहचाना जाता है। आज इस उद्यान में बाघों की संख्या काफी अधिक है। बाघ के अतिरिक्त यहां भालू, तेंदुआ, जंगली सुअर, पैंथर, बारहसिंगा, नीलगाय, सांभर, चीतल, हाथी और कई अन्य प्राणी देखे जा सकते हैं। रामगंगा नदी उद्यान के मध्य से बहती है। यहां पक्षियों की ४०० से अधिक प्रजातियां हैं। उनमें से मोर, बाज, वनमुर्गी, तीतर, बया, हरियल, उल्लू, अबाबील, कलचुरी, बगुला आदि को सैलानी आसानी से देख पाते हैं। सर्दियों में तो यहां प्रवासी पक्षी भी आ बसते हैं। रामगंगा के तट पर ऊदबिलाव, मगरमच्छ और जलगोह भी देखे जा सकते हैं। दार्जिलिंग दार्जिलिंग के चाय बागान जितने खूबसूरत गर्मियों के दिनों में दिखते हैं उससे कहीं ज्यादा आकर्षक तब दिखते हैं जब बर्फ की चादर उनपर पूरी तरह से बिछ जाती है। यहां इस मौसम में सैलानियों को बर्फ पर खेलना काफी भाता है। बर्फीले रास्तों पर चल कर यहां के बौद्ध मठ एवं पर्वतारोहण संस्थान देखने का मजा ही कुछ और है। धरती का स्वर्ग स्नोफॉल की बात हो धरती के स्वर्ग कश्मीर को भुला दिया जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता। वैसे तो इस मौसम में पूरा कश्मीर ही बर्फ से ढक जाता है पर कुछ जगह ऐसा जहां आप बारद्ब्रबार जाना चाहेंगे। शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि कश्मीर का गुलमर्ग देश का सबसे पहला स्कीइंग डेस्टिनेशन है। इस खेल का लुत्फ उठाने आज भी यहां देशद्ब्रविदेश के हजारों सैलानी आते हैं। यहां आकर गंडोले में बैठ ऊंचे बर्फीले पहाडी ढलानों पर नहीं गए, तो कश्मीर दर्शन अधूरा समझिए। इसके अलावा पटनी टाप भी लोगों को काफी पसंद आता है। इसके अलावा उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर भी इस मौसम में काफी भीड होती है। २. सन, सैंड और सर्फिग यानी समुंदर का किनारा सुंदर सागरतट घूमने के शौकीन लोगों को अपनी ओर आकर्षित न करे ऐसा तो हो ही नहीं सकता। वो भारत हा है जहां एक ओर उंचे पहाड हैं तो दूसरी समुद्र के तट जो इसे तीन ओर से घेरे हुे हैं। नंगे पैर समुद्र के किनारे पैदल चहने की कल्पना हर इंसान ने कभी न कभी की ही होगी। तो अगर आपका भी सपना समुद्र को अपने पैरों के नीचे लेने का कर रहा हो तो यह मौसम आपको बुला रहा है। इन दिनों समुद्री हवाएं और भी सुहानी लगती हैं और किनारे की सूखी रेत पर पैदल चलना भी सुखद लगता है। तभी तो सन, सैंड और सर्फिग के शौकीन विदेशी पर्यटक भी इन दिनों भारतीय तटों पर नजर आ जाते हैं। विदेशी सैलानियों का स्वर्ग गोवा सुंदर सागर तटों का जिक्र आते ही सबसे पहले जो तस्वीर हमारे जेहन में आती है वो है गोवा जो अपने अपने आपमें एक संपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहां की लंबी तटरेखा पर करीब ४० मनोरम बीच हैं। कई ऐतिहासिक चर्च व प्राचीन मंदिर भी यहां हैं। वैसे तो पर्यटक राजधानी पणजी के समीप मीरामार बीच पर शाम को सूर्यास्त का शानदार नजारा देखना ज्यादा पसंद करते हैं पर अगर खूबसूरती की बात करें तो कलंगूट को यहां का सबसे सुंदर तट है। दोना पाउला तट पर मोटरबोट की सैर और वाटर स्कूटर का रोमांचक सफर किया जा सकता है। अंजुना बीच पर बैठकर लाल चट्टानों से टकराती लहरों को देखना भी अपने आप एक नया अनुभव होगा। यहां से कुछ पर ही बागा बीच है, जहां सैलानी समुद्र स्नान का आनंद लेते हैं। गोवा में कई ऐतिहासिक चर्च हैं। इनमें बैसिलिका ऑफ जीसस सबसे प्रसिद्ध है। करें जगन्नाथ के दर्शन उडीसा के शहर पुरी सैर करना मतलब एक पंथ दो काज करने जैसा है। और शहर बंगाल की खाडी के मनमोहक सागरतटों वाला शानदार शहर है। इसे जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। यहां का सुंदर, स्वच्छ, विस्तृत और सुनहरा सागरतट दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। दूर तक फैले सफेद बालू के तट पर बल खाती सागर की लहरों को देख हर कोई मंर्तमुग्ध हो जाता है। भीडभाड भरे जीवन से परे जब सैलानी यहां पहुंचते हैं तो स्वयं को उन्मुक्त महसूस करते हैं। समंदर को छूकर आती हवाएं उनमें एक नई ऊर्जा का संचार कर देती हैं। इसलिए पुरी के मनोरम बीच पर सुबह से शाम तक खासी रौनक रहती है। सुबह से दोपहर तक यहां समुद्र स्नान और सूर्य स्नान करने वालों की भीड रहती है तो शाम को सूर्यास्त का मंजर देखने लोग यहां जुटते हैं। पुरी का यह बीच मीलों तक फैला है। शहर के निकट तट पर भारतीय सैलानी अधिक होते हैं तो पूर्वी हिस्से में अधिकतर विदेशी सैलानी सनबाथ का आनंद ले रहे होते हैं। यहां हस्तशिल्प की वस्तुओं हाट लगता है। इसकी जगमगाहट पर्यटकों को शाम को यहां खींच लाती है। उस समय समुद्र की लहरों का शोर माहौल को संगीतमय बनाए रखता है। जगन्नाथ पुरी यह देश के चार पविर्त धामों में से एक है। १६वीं सदी में बना जगन्नाथ मंदिर यहां महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है। पुरी का विश्वप्रसिद्ध रथयार्ता महोत्सव इसी मंदिर से जुडा है। पुरी घूमने आए सैलानी विश्वविख्यात कोणार्क मंदिर भी देख सकते हैं। १५ वींीं सदी में बना यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। यूनेस्को की ओर से इसे विश्व धरोहरों की सूची में दर्ज किया जा चुका है। समय हो तो पर्यटक भुवनेश्वर शहर, चिल्का झील और गोपालपुर ऑन सी सागरतट भी देखने जा सकते हैं। कोवलम के बीच केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम के समीप कोवलम बीच देश के सुंदरतम समुद्रतटों में से एक है। यह देश का पहला तट है जिसे अंतरराष्टीय स्तर के सीद्ब्रबीच के रूप में विकसित किया गया है। इसलिए यहां विदेशी सैलानियों की संख्या भी काफी होती है। कोवलम का सुंदर किनारा ताड और नारियल के वृक्षों से घिरा है। यहां दो छोटीद्ब्रछोटी खाडियां हैं, जिनके कोनों पर ऊंची चट्टानें हैं। चट्टानों पर बैठ सैलानी मचलती लहरों का आनंद लेते हैं। यह सागर की लहरें कुछ शांत हैं। तिरुअनंतपुरम में और भी कई दर्शनीय स्थान हैं। इनमें श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर शंखमुगम बीच, नेपियर संग्रहालय और श्री चिर्ताकला दीर्घा मुख्य हैं। भारत का अंतिम छोर तमिलनाडू के कन्याकुमारी को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। यहां तीन सागरों के संगम के साथ सूर्योदय व सूर्यास्त का अनूठा नजारा देखा जा सकता है। यहां से श्रीलंका भी काफी करीब है। हिं्द महासागर, बंगाल की खाडी और प्रशांत महासागर यानी तीन अलगद्ब्रअलग रंगों के समुद्र का नजारा इसके अलावा भारत में और कहीं नहीं देखा जा सकता है। ३. पधारो म्हारे देश क्या आप यह कल्पना कर सकते हैं कि भरी गर्मी में आप राजस्थान की गर्म रेत पर चहल कदमी करें। नहीं न। पर इस मौसम में रेत के ऊंचेद्ब्रनीचे टीलों बनी हवा की लहरें और दूर तक फैली रेत पर चलते ऊंटों के काफिले आपका मन मोह लेंगे। यही वह मौसम है जब आप मरुभूमि के ऐसे दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। राजस्थान का बहुत बडा क्षेर्तफल थार रेगिस्तान से घिरा है। यहां ऐसे बहुत से ठिकाने हैं, जहां सैलानी डेजर्ट हॉलिडे मना सकते हैं। इन स्थानों की रेतीली धरती पर रेत के विशालकाय टीले यानी सैंडद्ब्रड्यूंस देखना किसी रोमांच से कम नहीं है। इसे स्थानीय भाषा में रेत के टिब्बे या रेत के धोरे कहा जाता है। बीकानेर में लें कैमल सफारी का मजा बीकानेर शहर अपने किले, महल और हवेलियों के लिए पहचाना जाता है। राव बीकाजी द्वारा स्थापित इस के आसपास स्थित जूनागढ फोर्ट, लालगढ पैलेस, गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम, देवी कुंड और कैमल रिसर्च सेंटर आदि दर्शनीय हैं। बीकानेर के निकट सैलानी सैंड ड्यूंस की सैर भी कर सकते हैं। इसके लिए फ्ख् किमी दूर गजनेर वाइल्ड लाइफ सैंचुरी या कटारीसर गांव जाना होता है। रेगिस्तान की धरती का सही रूप देखना है तो कैमल सफारी सबसे अच्छा और रोमांचक तरीका है। इन सभी नगरों में टूर ऑपरेटरों द्वारा कैमल सफारी की व्यवस्था की जाती है। ऊंट के मालिक पर्यटकों के लिए गाइड का काम करते हैं। कैमल सफारी का कार्यऋम दो दिन से एक सप्ताह तक का बनाया जा सकता है। कैमल सफारी के दौरान मरुभूमि के ग्राम्य जीवन को करीब से देखने का अनुभव भी अनूठा होता है। बीकानेर से फ्. किमी दूर देशनोक में करणीमाता का मंदिर है जहां चूहों को पूजनीय माना जाता है। गोल्डन सिटी जैसलमेर राव जैसल द्वारा स्थापित यह ऐतिहासिक शहर सर्दियों में सैलानियों का पसंदीदा पर्यटन स्थल है। गर्म धूप में सुनहरी रेत को देखना हो तो जैसलमेर की सैर करना बेहतर होगा। गोल्डेन सिटी के नाम से पहचाना जाने वाले जैसलमेर में विशाल किला, सुंदर हवेलियां और शहर से कुछ दूर स्थित सैंड ड्यूंस सभी कुछ है। पीले पत्थरों से बने जैसलमेर फोर्ट को सोनार किला कहा जाता है। र्तिकूट पहाडी पर स्थित यह किला विशाल परकोटे से घिरा है। सोनार किले के अंदर कुछ सुंदर महल भी दर्शनीय हैं। राज परिवार के सुंदर महलों के अलावा यहां आम लोगों के घर भी हैं। शहर में भव्य हवेलियां भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इनमें सबसे आकर्षक पटवों की हवेली है। यह सात मंजिली पांच हवेलियों का समूह है। जैसलमेर की गडीसर झील भी है जहां बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है। सैलानियों के लिए यहां सबसे बडा आकर्षण सम सैंड ड्यूंस है जो शहर से ब्ख् किमी दूर स्थित हैं। वहां पहुंचकर चाहे आप रेत पर पैदल घूमें या फिर ऊंट पर बैठ रेत के धोरों के मध्य घूमने निकल पडें। साथ ही लोद्रवा, कनोई, कुलधारा आदि गांवों के समीप भी रेत के टीले देखे जा सकते हैं। इसके अलावा अगर आप राजस्थान जाएं तो जयपुर, जोधपुर और अजमेर शरीफ भी जरूर जाएं। इन सबका अपना अलग आकर्षण है। इसके अलावा नागौर और चूरू के नजदीक भी रेत के टीलों को देखा जा सकता है। इन टीलों की खासियत यह है कि यहां के टीले तेज हवाओं के साथ अकसर स्थान बदल लेते हैं। इसलिए इन्हें शिफ्टिंग सैंड ड्यूंस भी कहा जाता है। ४. मौसम जंगल में खोने का अगर आप लंबे समय से चाहते हैं कि कुदरती नजारों के साथ वन्य जीवन को भी करीब से निहारा जाए तो इसके लिे भी यह मौसम सबसे उपयुक्त है। नवंबर से मार्चद्ब्रअप्रैल तक का समय जब सर्दी में तापमान कम होता है तो वन्य प्राणियों को उन्मुक्त रूप से विचरते देखा जा सकता है। निहारें सौराष्ट्र के शेर को गीर नेशनल पार्क, गुजरात की ही नहीं बल्कि देश की भी प्रमुख वाइल्ड लाइफ सैरगाह है क्योंकि यही वह एकमार्त स्थान है जहां आप एशियाई शेर के दर्शन कर सकते हैं। यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेर्त के जूनागढ में पडता है। लगभग ख्म्. वर्ग किमी में फैले यहां के वन सागवान, बरगद आदि के अलावा कीकर, बेर एवं बबूल जैसे कंटीले पेडद्ब्रपौधों से आच्छादित हैं। एशियाई बब्बर शेर यहां का विशेष वन्य प्राणी है जिसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं। इसके अलावा यहां तेंदुआ, चौसिंगा, चीतल, लकडबग्घा, नीलगाय, चिंकारा व जंगली सुअर भी देखे जा सकते हैं। नदी घाटी में मगर और गोह भी देख सकते हैं। गीर नेशनल पार्क पहुंचने के लिए निकटतम एयरपोर्ट केशोड है। अक्टूबर से अप्रैल तक यहां भ्रमण का उपयुक्त समय है। काजीरंगा में करें हाथी की सवारी असम का काजीरंगा राष्टीय उद्यान एक सींग वाले भारतीय गैंडे और जंगली भैंसे के लिए विश्व विख्यात है। आज ये दोनों प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। इनके संरक्षण के इरादे से ही इसे राष्टीय उद्यान घोषित किया गया था उत्तर में बहती ब्रह्मपुर्त नदी और दक्षिण में पहाडों से घिरा यह क्षेर्त किसी को भी आनंदित कर सकता है। यहां पाए जाने वाले जीवों में तेंदुआ, बारहसिंगा, भालू, सांभर, काकड, हुलाक, पाडा, हाथी और बाघ आदि शामिल हैं। इसके अलावा यहां तीतर, चील, हवासिल, उल्लू आदि पक्षी भी बडी संख्या में हैं। कांजीरंगा पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जोरहाट है। उद्यान के अंदर घूमने के लिए हाथी की सवारी करनी होती है। तो देर किस बात की इस बार की सर्दियों में निकल पडिए एक नए अंदाज से भारत को देखने लिए। यकीन मानिए किसी भी मौसम की तुलना में सर्दियों में भारत की खूबसूरती और भी निखर आती है तभी तो इस मौसम में हजारों की संख्या में विदेशी सैलानी भारत का रुख करते हैं।

1 Comment:

ashish said...

badhiya hai par matter kaha se mara ye to bata

नीलम